गिराया Poetry

वारिस

मुबश्शिर अली ज़ैदी

लज़्ज़त-ए-हिज्र ने तड़पाया बहुत रुस्वा किया

नसीम शेख़

मरहला

दौर आफ़रीदी

बताऊँ मैं तुम्हें आँखों में आँसू या लहू क्या है

यूनुस ग़ाज़ी

दरून-ए-हल्का-ए-ज़ंजीर हूँ मैं

याक़ूब तसव्वुर

का'बे की सम्त सज्दा किया दिल को छोड़ कर

वज़ीर अली सबा लखनवी

वाइ'ज़ के मैं ज़रूर डराने से डर गया

वज़ीर अली सबा लखनवी

अगर रोना ही अब मेरा मुक़द्दर है मोहब्बत में

वक़ार मानवी

रह-ए-कहकशाँ से गुज़र गया हमा-ईन-ओ-आँ से गुज़र गया

वक़ार बिजनोरी

ग़म-ए-मोहब्बत है कार-फ़रमा दुआ से पहले असर से पहले

वक़ार बिजनोरी

चश्म-ए-यक़ीं से देखिए जल्वा-गह-ए-सिफ़ात में

वक़ार बिजनोरी

वाँ जो कुछ का'बे में असरार है अल्लाह अल्लाह

वलीउल्लाह मुहिब

मिरे दिल में हिज्र के बाब हैं तुझे अब तलक वही नाज़ है

वलीउल्लाह मुहिब

जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़

वली उज़लत

शौक़ देता है मुझे पैग़ाम-ए-इश्क़

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

मुरव्वत का पास और वफ़ा का लिहाज़

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

एक मुद्दत से इसी उलझन में हूँ

वाहिद प्रेमी

अपना नफ़स नफ़स है कि शो'ला कहें जिसे

वाहिद प्रेमी

हर एक गाम पे सज्दा यहाँ रवा होगा

वहीदा नसीम

मावरा

वहीद अख़्तर

खिलौने

वहीद अहमद

एल्बम

वहीद अहमद

अपनी तो गुज़री है अक्सर अपनी ही मन-मानी में

विलास पंडित मुसाफ़िर

जी में है इक दिन झूम कर उस शोख़ को सज्दा करूँ

वारिस किरमानी

बहुत दिनों में हम उन से जो हम-कलाम हुए

वारिस किरमानी

फ़सील-ए-रेग पर इतना भरोसा कर लिया तुम ने

वली मदनी

शौक़ कहता है कि हर जिस्म को सज्दा कीजे

तौसीफ़ तबस्सुम

दिल था पहलू में तो कहते थे तमन्ना क्या है

तौसीफ़ तबस्सुम

चढ़ता सूरज उड़ता बादल बहता दरिया कुछ भी नहीं

तनवीर गौहर

ज़ेर-ए-लब रहा नाला दर्द की दवा हो कर

ताबिश देहलवी

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