गिराया Poetry (page 8)

तिरे दयार में कोई ग़म-आश्ना तो नहीं

अली जव्वाद ज़ैदी

तय कर चुके ये ज़िंदगी-ए-जावेदाँ से हम

अली जव्वाद ज़ैदी

ग़ैर पूछें भी तो हम क्या अपना अफ़्साना कहें

अली जव्वाद ज़ैदी

शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है

अलीम अख़्तर

दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा आह कर लूँगा

अख़्तर शीरानी

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए

अख़्तर शीरानी

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

अख़्तर होशियारपुरी

कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं

अख़्तर अंसारी

जुनून-ए-इश्क़ का जो कुछ हुआ अंजाम क्या कहिए

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

हवा-ए-शब भी है अम्बर-अफ़्शाँ उरूज भी है मह-ए-मुबीं का

अकबर इलाहाबादी

ये शौक़ सारे यक़ीन-ओ-गुमाँ से पहले था

अकबर अली खान अर्शी जादह

ज़िंदगी में प्यार का सौदा करो

अजीत सिंह हसरत

साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है

अहसन मारहरवी

साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है

अहसन मारहरवी

फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का

अहमद शनास

हमेशा दिल हवस-ए-इंतिक़ाम पर रक्खा

अहमद जावेद

क्या रोज़-ए-हश्र दूँ तुझे ऐ दाद-गर जवाब

अहमद हुसैन माइल

ये मैं भी क्या हूँ उसे भूल कर उसी का रहा

अहमद फ़राज़

न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं

अहमद फ़राज़

अना मुँह आँसुओं से धो रही है

अहमद अशफ़ाक़

रुख़्सार के परतव से बिजली की नई धज है

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

अपने ही तले आई ज़मीनों से निकल कर

अफ़ज़ाल नवेद

मुफ़ाहमत न सिखा जब्र-ए-नारवा से मुझे

अदीम हाशमी

आगे हरीम-ए-ग़म से कोई रास्ता न था

अदा जाफ़री

जबीन-ए-शौक़ पर कोई हुआ है मेहरबाँ शायद

अबु मोहम्मद वासिल

आप करिश्मा-साज़ हुए हैं होश में है दीवाना भी

आबिद नामी

दिल दिया वहशत लिया और ख़ुद को रुस्वा कर लिया

अब्दुल्लतीफ़ शौक़

हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे

अब्दुल्लाह कमाल

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