शमा Poetry (page 17)

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

हसन अख्तर जलील

हम तीरगी में शम्अ जलाए हुए तो हैं

हसन आबिदी

हम तीरगी में शम्अ' जलाए हुए तो हैं

हसन आबिद

जहाँ तुझ को बिठा कर पूजते हैं पूजने वाले

हरी चंद अख़्तर

बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ

हनीफ़ कैफ़ी

संग बरसेंगे और मुस्कुराएँगे हम

हनीफ़ अख़गर

घर है तो दर भी होगा दीवार भी रहेगी

हमीद अलमास

कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है

हकीम नासिर

जब भी जलेगी शम्अ तो परवाना आएगा

हकीम नासिर

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

सर शम्अ साँ कटाइए पर दम न मारिए

हैदर अली आतिश

पिसे दिल उस की चितवन पर हज़ारों

हैदर अली आतिश

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का

हैदर अली आतिश

हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए

हफ़ीज़ जौनपुरी

अफ़्सुर्दगी-ए-दिल से ये रंग है सुख़न में

हफ़ीज़ जौनपुरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

लहू की मय बनाई दिल का पैमाना बना डाला

हफ़ीज़ बनारसी

आ जाओ कि मिल कर हम जीने की बिना डालें

हफ़ीज़ बनारसी

वो निगाहें जो दिल-ए-महज़ूँ में पिन्हाँ हो गईं

हादी मछलीशहरी

देख कर शम्अ के आग़ोश में परवाने को

हादी मछलीशहरी

ये उजड़े बाग़ वीराने पुराने

हबीब जालिब

शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ

हबीब जालिब

हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

वो उट्ठे हैं तेवर बदलते हुए

हबीब मूसवी

रोना इन का काम है हर दम जल जल कर मर जाना भी

हबीब मूसवी

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