शमशेर Poetry (page 4)

जाने किस ख़्वाब का सय्याल नशा हूँ मैं भी

राज नारायण राज़

आख़िरी वक़्त तिरी राह से हट जाएँगे

राहुल झा

मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए

राही शहाबी

मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए

राही शहाबी

मुज़ाहिमतों के अहद-निगार

इक़बाल कौसर

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

'इश्क़ी'-साहिब लिखना है तो कोई नई तहरीर लिखो

इलियास इश्क़ी

वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है

इफ़्तिख़ार राग़िब

ज़िक्र-ए-जानाँ कर जो तुझ से हो सके

हातिम अली मेहर

उस बुत के पुजारी हैं मुसलमान हज़ारों

हसरत मोहानी

महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक

हसरत मोहानी

नौ-ब-नौ ये जल्वा-ज़ाई ये जमाल-ए-रंग-रंग

हमीद नसीम

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

हैदर अली आतिश

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हैदर अली आतिश

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

तीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना

हफ़ीज़ जालंधरी

जल्वा-ए-हुस्न को महरूम-ए-तमाशाई कर

हफ़ीज़ जालंधरी

लब-ए-फ़ुरात वही तिश्नगी का मंज़र है

हफ़ीज़ बनारसी

ख़लिश-ओ-सोज़ दिल-फ़िगार ही दी

हबीब तनवीर

कोई बात ऐसी आज ऐ मेरी गुल-रुख़्सार बन जाए

हबीब मूसवी

बढ़ा दी इक नज़र में तू ने क्या तौक़ीर पत्थर की

हबीब मूसवी

शक्ल सहरा की हमेशा जानी-पहचानी रहे

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

क्या कहें तुझ से हम वफ़ा क्या है

ग़ुलाम मौला क़लक़

कोई जब छीन लेता है मता-ए-सब्र मिट्टी से

ग़ुलाम हुसैन साजिद

किसी को ज़हर दूँगा और किसी को जाम दूँगा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

इक ख़लिश है मिरे बाहर मिरी दम-साज़ गिरी

ग़ुफ़रान अमजद

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