स्टार Poetry (page 2)

वो रौशनी जो शफ़क़ का लिबास छोड़ गई

तौक़ीर अब्बास

मिरे चारा-गर तुझे क्या ख़बर, जो अज़ाब-ए-हिज्र-ओ-विसाल है

तसनीम आबिदी

जौन-एलिया से आख़री मुलाक़ात

तारिक़ क़मर

किनारा कर न ऐ दुनिया मिरी हस्त-ए-ज़बूनी से

तारिक़ नईम

मैं आ रहा था सितारों पे पाँव धरते हुए

तारिक़ नईम

इस रात किसी और क़लम-रौ में कहीं था

तारिक़ नईम

दर-ओ-बस्त-ए-अनासिर पारा पारा होने वाला है

तारिक़ नईम

जब सितारा थक गया

तनवीर अंजुम

आसमान-ए-यास पर खोया सितारा ढूँढना

तनवीर अंजुम

मोती नहीं हूँ रेत का ज़र्रा तो मैं भी हूँ

तैमूर हसन

मेहवर पे भी गर्दिश मिरी मेहवर से अलग हो

तफ़ज़ील अहमद

अजब यक़ीन सा उस शख़्स के गुमान में था

ताबिश कमाल

मंज़िलों उस को आवाज़ देते रहे मंज़िलों जिस की कोई ख़बर भी न थी

ताब असलम

जुनूँ पे जब्र-ए-ख़िरद जब भी होश्यार हुआ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

दिल शहर-ए-तहय्युर है कि वो मम्लिकत-आरा

सय्यद अमीन अशरफ़

वो सर से पाँव तलक चाहतों में डूबा था

सुलेमान ख़ुमार

वही सितारा जो बुझ गया हम-सफ़र था मेरा

सिराज मुनीर

जागते दिन की गली में रात आँखें मल रही है

सिदरा सहर इमरान

दिल-ए-आईना-सामाँ पारा पारा कर के देखा जाए

सिद्दीक़ मुजीबी

बिखरती टूटती शब का सितारा रख लिया मैं ने

सिद्दीक़ मुजीबी

फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा हो

सिद्दीक़ शाहिद

इतना नूर कहाँ से लाऊँ तारीकी के इस जंगल में

शोएब निज़ाम

तेरा चेहरा देख के हर शब सुब्ह दोबारा लिखती है

शोएब निज़ाम

दुनिया से दुनिया में रह कर कैसे किनारा कर रक्खा है

शोएब निज़ाम

अब्र का टुकड़ा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ

शोएब निज़ाम

हंगामा गर्म हस्ती-ए-ना-पाएदार का

ज़ौक़

मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए

शाज़ तमकनत

जो अपनी चश्म-ए-तर से दिल का पारा छोड़ जाता है

शारिब मौरान्वी

पलकों पे सितारा सा मचलने के लिए था

शमीम रविश

राज़ में रख तिरी रुस्वाई का क़िस्सा मैं हूँ

शकील आज़मी

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