धरती Poetry (page 15)

डासना स्टेशन का मुसाफ़िर

अख़्तर-उल-ईमान

भुला चुके हैं ज़मीन ओ ज़माँ के सब क़िस्से

अख़्तर ज़ियाई

वो कम-नसीब जो अहद-ए-जफ़ा में रहते हैं

अख़्तर ज़ियाई

मिला जो कोई यहाँ रम्ज़-आशना न मुझे

अख़्तर ज़ियाई

मिरी निगाह की वुसअत भी इस में शामिल कर

अख्तर शुमार

तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है

अख्तर शुमार

अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं

अख्तर शुमार

ग़ुरूर-ए-पास-ए-रिवायत बदल के रख दूँगा

अख़्तर रज़ा अदील

विसाल

अख़्तर हुसैन जाफ़री

मक़्तल की बाज़दीद

अख़्तर हुसैन जाफ़री

थी तितलियों के तआ'क़ुब में ज़िंदगी मेरी

अख़्तर होशियारपुरी

नज़र से सफ़्हा-ए-आलम पे ख़ूनीं दास्ताँ लिखिए

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

फ़ित्ने अजब तरह के समन-ज़ार से उठे

अकबर हैदराबादी

अभी ज़मीन को हफ़्त आसमाँ बनाना है

अकबर हमीदी

हवा-ए-शब भी है अम्बर-अफ़्शाँ उरूज भी है मह-ए-मुबीं का

अकबर इलाहाबादी

ये शौक़ सारे यक़ीन-ओ-गुमाँ से पहले था

अकबर अली खान अर्शी जादह

तुम्हारे दिल की तरह ये ज़मीन तंग नहीं

अकबर अली खान अर्शी जादह

बंदे ज़मीन और आसमाँ सरमा की शब कहानियाँ

ऐतबार साजिद

आवाज़ के सौदागरों में इतनी फ़नकारी तो है

ऐनुद्दीन आज़िम

मुस्तक़बिल

अहमक़ फफूँदवी

इल्म की ज़रूरत

अहमक़ फफूँदवी

फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का

अहमद शनास

राज़-ए-दरून-ए-आस्तीं कश्मकश-ए-बयाँ में था

अहमद शहरयार

गुमान के लिए नहीं यक़ीन के लिए नहीं

अहमद शहरयार

आँखें बनाता दश्त की वुसअत को देखता

अहमद रिज़वान

दुआ

अहमद नदीम क़ासमी

जब भी आँखों में तिरी रुख़्सत का मंज़र आ गया

अहमद नदीम क़ासमी

शबनम को रेत फूल को काँटा बना दिया

अहमद मुश्ताक़

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

अहमद मुश्ताक़

अब मंज़िल-ए-सदा से सफ़र कर रहे हैं हम

अहमद मुश्ताक़

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