धरती Poetry (page 3)

वो ख़्वाब ही सही पेश-ए-नज़र तो अब भी है

उम्मीद फ़ाज़ली

लड़ जाते हैं सरों पे मचलती क़ज़ा से भी

उमर अंसारी

ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया

तिलोकचंद महरूम

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए

तारिक़ नईम

मैं आ रहा था सितारों पे पाँव धरते हुए

तारिक़ नईम

अहबाब हो गए हैं बहुत मुझ से बद-गुमान

तनवीर सामानी

ग़म-ए-ज़माना जब न हो ग़म-ए-वजूद ढूँड लूँ

तनवीर अंजुम

हमें वो क्यूँ याद आ रहे हैं

तनवीर अंजुम

कभी वो मिस्ल-ए-गुल मुझे मिसाल-ए-ख़ार चाहिए

तनवीर अंजुम

धूप जब तक सर पे थी ज़ेर-ए-क़दम पाए गए

तालिब जोहरी

दर्द-ए-दिल को दास्ताँ-दर-दास्ताँ होने तो दो

तल्हा रिज़वी बारक़

क्या शय है खींच लेती है शब को सर-ए-फ़लक

तफ़ज़ील अहमद

वही गुल है गुलिस्ताँ में वही है शम्अ' महफ़िल में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

क्लर्क

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

शहर में साएबाँ बहुत से हैं

सय्यद मेराज जामी

एक इश्क़ की नस्ली तारीख़

सय्यद काशिफ़ रज़ा

मलाल-ए-ग़ुंचा-ए-तर जाएगा कभी न कभी

सय्यद अमीन अशरफ़

बे-लुत्फ़ है ये सोच कि सौदा नहीं रहा

सय्यद अमीन अशरफ़

मैं दिन को रात के दरिया में जब उतार आया

सूरज नारायण

इस ज़मीन ओ आसमाँ पर ख़ाक डाल

सुहैल अख़्तर

और किस शय से दाग़-ए-दिल धोएँ

सुबहान असद

है धूप तेज़ कोई साएबान कैसे हो

सिया सचदेव

यौम-ए-आज़ादी

सिराज लखनवी

अब इतनी अर्ज़ां नहीं बहारें वो आलम-ए-रंग-ओ-बू कहाँ है

सिराज लखनवी

ख़ुदा क़हक़हा लगाता है

सिदरा सहर इमरान

बा-इज़्ज़त तरीक़े से जीने के जतन

सिदरा सहर इमरान

प्यासा जो मेरे ख़ूँ का हुआ था सो ख़्वाब था

सिद्दीक़ मुजीबी

हवा-ए-इश्क़ में शामिल हवस की लू ही रही

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

ज़िंदा हो जाता हूँ मैं जब यार का आता है ख़त

श्याम सुंदर लाल बर्क़

हिज्र ग़म का बयान है गोया

श्याम सुंदर लाल बर्क़

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