जहर Poetry (page 13)

तंहाई

एजाज़ फ़ारूक़ी

चुप

एजाज़ फ़ारूक़ी

शुऊर-ए-नौ-उम्र हूँ न मुझ को मता-ए-रंज-ओ-मलाल देना

एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ

एहतिशाम हुसैन

सोज़-ए-जुनूँ को दिल की ग़िज़ा कर दिया गया

एहसान दानिश

रिश्वत-ख़ोर सरकारी मुलाज़मीन

दिलावर फ़िगार

मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज

दिलावर फ़िगार

आग लग जाएगी इक दिन मिरी सरशारी को

दिलावर अली आज़र

सलोनी शाम के आँगन में जब दो वक़्त मिलते हैं

दीपक क़मर

देख लटका सजन तेरी लट का

दाऊद औरंगाबादी

जब से किसी से दर्द का रिश्ता नहीं रहा

दरवेश भारती

ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो

दर्शन सिंह

सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना

दाग़ देहलवी

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

दाग़ देहलवी

क्या तर्ज़-ए-कलाम हो गई है

दाग़ देहलवी

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता

दाग़ देहलवी

आप का ए'तिबार कौन करे

दाग़ देहलवी

लौट चलिए

चन्द्रभान ख़याल

हल्की हल्की बूँदें बरसीं पंछी करें कलोल

चमन लाल चमन

वो: एक

बिमल कृष्ण अश्क

अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

एक नए साँचे में ढल जाता हूँ मैं

भारत भूषण पन्त

जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ

बेबाक भोजपुरी

फ़रहाद किस उम्मीद पे लाता है जू-ए-शीर

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

दादा बड़े भोले थे सब से यही कहते थे

बशीर बद्र

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है

बशीर बद्र

ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में

बशीर बद्र

तो ऐसा क्यूँ नहीं करते

बशर नवाज़

सुब्ह का भेद मिला क्या हम को

बाक़ी सिद्दीक़ी

दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है

बाक़ी सिद्दीक़ी

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