निकासी Poetry (page 35)

न पावे चाल तेरे की पियारे ये ढलक दरिया

आबरू शाह मुबारक

इंसान है तो किब्र सीं कहता है क्यूँ अना

आबरू शाह मुबारक

फ़जर उठ ख़्वाब सीं गुलशन में जब तुम ने मली अँखियाँ

आबरू शाह मुबारक

ख़याल लम्स का कार-ए-सवाब जैसा था

अबरार आज़मी

ज़मीं नहीं ये मिरी आसमाँ नहीं मेरा

अबरार अहमद

ख़ुद सवाल आप ही जवाब हूँ मैं

आबिद मुनावरी

दश्त में उस का आब-ओ-दाना है

आबिद मलिक

लहर का ख़्वाब हो के देखते हैं

अभिषेक शुक्ला

हम ऐसे सोए भी कब थे हमें जगा लाते

अभिषेक शुक्ला

सफ़ेद-पोश दरिंदों ने गुल खिलाए थे

अब्दुर्रहीम नश्तर

चट्टान के साए में खड़ा सोच रहा हूँ

अब्दुर्रहीम नश्तर

पड़े हैं मस्त भी साक़ी अयाग़ के नज़दीक

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए

अब्दुल्लाह कमाल

अपने होने का इक इक पल तजरबा करते रहे

अब्दुल्लाह कमाल

दुनिया ने जब डराया तो डरने में लग गया

अब्दुल्लाह जावेद

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

ख़ाक आब-ए-गिर्या से आतिश बुझे नाचार हम

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

बदलते मौसमों में आब-ओ-दाना भी नहीं होगा

अब्दुल मन्नान समदी

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

पाँव रुकते ही नहीं ज़ेहन ठहरता ही नहीं

अब्दुल हमीद

ज़मीं-नज़ाद हैं लेकिन ज़माँ में रहते हैं

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

न मक़ामात न तरतीब-ए-ज़मानी अपनी

अब्दुल अहद साज़

मेरी आँखों से गुज़र कर दिल ओ जाँ में आना

अब्दुल अहद साज़

बातिन से सदफ़ के दुर-ए-नायाब खुलेंगे

अब्दुल अहद साज़

मुझे रस्ता नहीं मिलता

अब्बास ताबिश

नींदों का एक आलम-ए-असबाब और है

अब्बास ताबिश

दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें

अब्बास ताबिश

सितारे चाहते हैं माहताब माँगते हैं

अब्बास रिज़वी

मैं उस से दूर रहा उस की दस्तरस में रहा

अब्बास रिज़वी

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