निकासी Poetry (page 34)

जब इक सराब में प्यासों को प्यास उतारती है

अफ़ज़ल ख़ान

ये जो सूरज है ये सूरज भी कहाँ था पहले

अफ़ज़ल गौहर राव

हर आइने में तिरा ही धुआँ दिखाई दिया

अफ़ज़ल गौहर राव

दवा-ए-दर्द-ए-ग़म-ओ-इज़्तिराब क्या देता

अफ़ज़ल इलाहाबादी

यही बहुत थे मुझे नान ओ आब ओ शम्अ ओ गुल

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

ये नहर-ए-आब भी उस की है मुल्क-ए-शाम उस का

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

कुछ और रंग मैं तरतीब-ए-ख़ुश्क-ओ-तर करता

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

कभी न ख़ुद को बद-अंदेश-ए-दश्त-ओ-दर रक्खा

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

मैं जब भी छूने लगूँ तुम ज़रा परे हो जाओ

आफ़ताब इक़बाल शमीम

कभी ख़ुद को दर्द-शनास करो कभी आओ ना

आफ़ताब इक़बाल शमीम

अपनी कैफ़िय्यतें हर आन बदलती हुई शाम

आफ़ताब इक़बाल शमीम

गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में

आफ़ताब हुसैन

पछता रहे हैं दर्द के रिश्तों को तोड़ कर

आफ़ताब आरिफ़

मुमकिन है शय वही हो मगर हू-ब-हू न हो

आफ़ताब अहमद

तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो

अफ़सर इलाहाबादी

जिगर को ख़ून किए दिल को बे-क़रार अभी

अफ़रोज़ आलम

हमारी तिश्ना-लबी अब सुबू से खेलेगी

अफ़ीफ़ सिराज

हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूद

आदिल मंसूरी

तेरे लिए चले थे हम तेरे लिए ठहर गए

अदीम हाशमी

लोगों के दर्द अपनी पशेमानियाँ मिलीं

अदीम हाशमी

चल दिया वो देख कर पहलू मिरी तक़्सीर का

अदीम हाशमी

निगाह ओट रहूँ कासा-ए-ख़बर में रहूँ

अदा जाफ़री

ये इक और हम ने क़रीना किया

अबुल हसनात हक़्क़ी

ये इक और हम ने क़रीना किया

अबुल हसनात हक़्क़ी

नुमू तो पहले भी था इज़्तिराब मैं ने दिया

अबुल हसनात हक़्क़ी

तेग़-ए-जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

तुम्हारी देख कर ये ख़ुश-ख़िरामी आब-रफ़्तारी

आबरू शाह मुबारक

ये सब्ज़ा और ये आब-ए-रवाँ और अब्र ये गहरा

आबरू शाह मुबारक

तीरा-रंगों के हुआ हक़ में ये तप करना दवा

आबरू शाह मुबारक

निपट ये माजरा यारो कड़ा है

आबरू शाह मुबारक

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