आशना Poetry (page 9)

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

मेरे तसव्वुरात में अब कोई दूसरा नहीं

राम कृष्ण मुज़्तर

मजबूर तो बहुत हैं मोहब्बत में जी से हम

राम कृष्ण मुज़्तर

राज़-ए-हस्ती से आश्ना न हुआ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

लम्हा लम्हा बिखर रहा हूँ मैं

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

हयात-ओ-मर्ग का उक़्दा कुशा होने नहीं देता

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

आख़िरी बस

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

गुज़र रहा हूँ सियह अंधे फ़ासलों से मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

बजाए हम-सफ़री इतना राब्ता है बहुत

राजेन्द्र मनचंदा बानी

बहुत कुछ मुंतज़िर इक बात का था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

गुज़ारे तुम ने कैसे रोज़-ओ-शब हम से ख़फ़ा हो कर

राज कुमार सूरी नदीम

सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए

रईस अमरोहवी

मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले

रईस अमरोहवी

कहीं से साज़-ए-शिकस्ता की फिर सदा आई

रईस अमरोहवी

जो तसव्वुर से मावरा न हुआ

इक़बाल सुहैल

अभी मिरा आफ़्ताब उफ़ुक़ की हुदूद से आश्ना नहीं है

इक़बाल कौसर

मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे

इक़बाल कैफ़ी

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए

इक़बाल अज़ीम

तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था

इक़बाल अशहर

याँ ज़ख़्मी-ए-निगाह के जीने पे हर्फ़ है

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

वो संगलाख़ ज़मीनों में शेर कहता था

इम्तियाज़ साग़र

तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ

इम्दाद इमाम असर

मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का

इमदाद अली बहर

दाग़ बैआ'ना हुस्न का न हुआ

इमदाद अली बहर

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

मस्जिद-ए-अहमरीं

इलियास बाबर आवान

शहर इल्म के दरवाज़े पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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