आशना Poetry (page 11)

ख़ुद ख़मोशी के हिसारों में रहे

हामिदी काश्मीरी

ख़ुद ही बे-आसरा करते हैं

हामिदी काश्मीरी

हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी

हामिद इलाहाबादी

मरीज़-ए-इश्क़ की जुज़-मर्ग दुनिया में दवा क्यूँ हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा

हकीम मंज़ूर

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा

हैदर अली आतिश

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

मिटने वाली हसरतें ईजाद कर लेता हूँ मैं

हफ़ीज़ जालंधरी

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं

हफ़ीज़ होशियारपुरी

गुमराह कह के पहले जो मुझ से ख़फ़ा हुए

हफ़ीज़ बनारसी

न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में

हबीब जालिब

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' बने 'यगाना' बने

हबीब जालिब

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

हबीब जालिब

ये ग़म नहीं है कि अब आह-ए-ना-रसा भी नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

न साथ देगा कोई राह आश्ना मेरा

गुलनार आफ़रीन

महज़ूँ न हो 'हुज़ूर' अब आता है यार अपना

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

अपने सिवा नहीं है कोई अपना आश्ना

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

तुम वफ़ा का एवज़ जफ़ा समझे

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

क्या बताऊँ आज वो मुझ से जुदा क्यूँकर हुआ

गोपाल कृष्णा शफ़क़

ख़ुद को कभी न देखा आईने ही को देखा

ग़ुलाम मौला क़लक़

उठने में दर्द-ए-मुत्तसिल हूँ मैं

ग़ुलाम मौला क़लक़

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