आशना Poetry (page 13)

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

घर की चीज़ों से यूँ आश्ना कौन है

फ़ारूक़ शफ़क़

मातम-ए-नीम-ए-शब

फ़ारूक़ नाज़की

बस्ती से दूर जा के कोई रो रहा है क्यूँ

फ़ारूक़ नाज़की

नक़्श आख़िर आप अपना हादिसा हो जाएगा

फ़ारूक़ मुज़्तर

दिल-ए-ईज़ा-तलब ले तेरा कहना कर लिया मैं ने

फ़ारूक़ बाँसपारी

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

वो अक्स-ए-दिल-ए-आश्ना छोड़ आए

फ़राज़ सुल्तानपूरी

कभी हरीफ़ कभी हम-नवा हमीं ठहरे

फ़राग़ रोहवी

यारब नवा-ए-दिल से ये कान आश्ना से हैं

फ़ानी बदायुनी

ज़बाँ मुद्दआ-आश्ना चाहता हूँ

फ़ानी बदायुनी

मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं

फ़ानी बदायुनी

किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं

फ़ना बुलंदशहरी

काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या से क्या कर दिया

फ़ना बुलंदशहरी

आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वासोख़्त

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ढाका से वापसी पर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

न अब रक़ीब न नासेह न ग़म-गुसार कोई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के

फ़ाएज़ देहलवी

जब सजीले ख़िराम करते हैं

फ़ाएज़ देहलवी

हर आश्ना से उस बिन बेगाना हो रहा हूँ

फ़ाएज़ देहलवी

ख़ून-ए-नाहक़ थी फ़क़त दुनिया-ए-आब-ओ-गिल की बात

एजाज़ वारसी

जिस को देखो बेवफ़ा है आइनों के शहर में

एजाज़ वारसी

ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के

एजाज़ गुल

किस दिल से हम इरादा-ए-तर्क-ए-जुनूँ करें

एजाज़ अासिफ़

फ़ासलों की बात

एजाज़ अहमद एजाज़

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