जागरूकता Poetry (page 8)

हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही

असद रज़ा

लकीर-ए-संग को अन्क़ा-मिसाल हम ने किया

अरशद अब्दुल हमीद

कभी जो ख़त्म न हो ऐसी ताज़गी दे दी

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

ज़हराब-ए-तिश्नगी का मज़ा हम से पूछिए

आरिफ़ अंसारी

मैं अज़ल का राह-रौ मुझ को अबद की जुस्तुजू

आरिफ़ अब्दुल मतीन

डुबोए देता है ख़ुद-आगही का बार मुझे

अनवर सिद्दीक़ी

डुबोए देता है ख़ुद-आगही का बार मुझे

अनवर सिद्दीक़ी

जो सुनता हूँ कहूँगा मैं जो कहता हूँ सुनूँगा मैं

अनवर शऊर

जो जल उठी है शबिस्ताँ में याद सी क्या है

अनवर शऊर

ज़ुल्मतों में रौशनी की जुस्तुजू करते रहो

अनवर साबरी

वक़्त जब करवटें बदलता है

अनवर साबरी

तसव्वुर के सहारे यूँ शब-ए-ग़म ख़त्म की मैं ने

अनवर साबरी

चराग़ हाथ में हो तो हवा मुसीबत है

अंजुम सलीमी

सितमगरों से डरूँ चुप रहूँ निबाह करूँ

अंजुम ख़लीक़

कार-ए-हुनर सँवारने वालों में आएगा

अंजुम ख़लीक़

जब तक फ़सील-ए-जिस्म का दर खुल न जाएगा

अंजुम ख़लीक़

ब-फ़ैज़-ए-आगही ये क्या अज़ाब देख लिया

अंजुम ख़लीक़

बदल चुके हैं सब अगली रिवायतों के निसाब

अंजुम ख़लीक़

बशर को मशअ'ल-ए-ईमाँ से आगही न मिली

आनंद नारायण मुल्ला

जहल को आगही बनाते हुए

अम्मार इक़बाल

नहीं कुछ इंतिहा अफ़्सुर्दगी की

अमजद नजमी

दर-ए-काएनात जो वा करे उसी आगही की तलाश है

अमजद इस्लाम अमजद

है नूर-ए-ख़ुदा भी यहाँ इरफ़ान-ए-ख़ुदा भी

अमीक़ हनफ़ी

रोज़ जो मरता है इस को आदमी लिक्खो कभी

अमीन राहत चुग़ताई

जुनून-ए-शौक़-ए-मोहब्बत की आगही देना

अलक़मा शिबली

जुदा किया तो बहुत ही हँसी-ख़ुशी उस ने

अलीमुल्लाह हाली

राह-ए-उल्फ़त में मिले ऐसे भी दीवाने मुझे

अली जव्वाद ज़ैदी

आगही

अख़्तर-उल-ईमान

इरफ़ान-ओ-आगही के सज़ा-वार हम हुए

अख़्तर ज़ियाई

अहद-ए-वफ़ा का क़र्ज़ अदा कर दिया गया

अख़्तर ज़ियाई

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