जागरूकता Poetry (page 1)

हम को आगही न दो

मर्यम तस्लीम कियानी

मकान ख़ाली है

अज़ीज़ क़ैसी

हर-सम्त ताज़गी सी झरनों की नग़्मगी से कितनी

जाफ़र रज़ा

शादाब शाख़-ए-दर्द की हर पोर क्यूँ नहीं

ज़िया जालंधरी

तमन्नाएँ अज़िय्यत का नज़ारा हम न कहते थे

ज़ीशान साजिद

मुद्दत हुई न मुझ से मिरा राब्ता हुआ

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

जुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेह

ज़की काकोरवी

तिरे नाज़-ओ-अदा को तेरे दीवाने समझते हैं

ज़की काकोरवी

तपिश से फिर नग़्मा-ए-जुनूँ की सुरूद-ओ-चंग-ओ-रबाब टूटे

ज़ाहिदा ज़ैदी

जैसे जैसे आगही बढ़ती गई वैसे 'ज़हीर'

ज़हीर सिद्दीक़ी

ज़ख़्म-ए-ताज़ा बर्ग-ए-गुल में मुंतक़िल होते गए

ज़हीर सिद्दीक़ी

बे-क़नाअत क़ाफ़िले हिर्स-ओ-हवा ओढ़े हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

दिन पर सोच सुलगती है या कभी रात के बारे में

ज़फ़र इक़बाल

हर इक शय इश्तिहारी हो गई है

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

मिरे भी सुर्ख़-रू होने का इक मौक़ा निकल आता

यूसुफ़ तक़ी

मुझे आगही का निशाँ समझ के मिटाओ मत

यासमीन हामिद

जो चला गया सो चला गया जो है पास उस का ख़याल रख

यासमीन हबीब

पहाड़ जैसी अज़्मतों का दाख़िला था शहर में

याक़ूब यावर

हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए

याक़ूब यावर

चाहती है आख़िर क्या आगही ख़ुदा-मालूम

याक़ूब उस्मानी

पस-ए-दीवार-ए-ज़िंदाँ

वहीद क़ुरैशी

कोई न चाहने वाला था हुस्न-ए-रुस्वा का

वहीद क़ुरैशी

किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

ऐ दिल-ए-ख़ुद-ना-शनास ऐसा भी क्या

उम्मीद फ़ाज़ली

जौन-एलिया से आख़री मुलाक़ात

तारिक़ क़मर

हवा का हुक्म भी अब के नज़र में रक्खा जाए

तारिक़ नईम

फेंकें भी ये लिबास बदन का उतार के

तनवीर सामानी

इंतिज़ार

तनवीर अंजुम

एक आवाज़

तख़्त सिंह

दश्त-ए-तन्हाई बादल हवा और मैं

ताबिश मेहदी

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