जागरूकता Poetry (page 6)

उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है

गुलज़ार देहलवी

उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है

गुलज़ार देहलवी

कुछ तुम्हारी अंजुमन में ऐसे दीवाने भी थे

गुलाम जीलानी असग़र

नायाब चीज़ कौन सी बाज़ार में नहीं

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

इक सर्द-जंग का है असर मेरे ख़ून में

ग़ौसिया ख़ान सबीन

न होते शाद आईन-ए-गुलिस्ताँ देखने वाले

ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

ग़ालिब

यक-ज़र्रा-ए-ज़मीं नहीं बे-कार बाग़ का

ग़ालिब

हुस्न-ए-बे-परवा ख़रीदार-ए-माता-ए-जल्वा है

ग़ालिब

हम पर जफ़ा से तर्क-ए-वफ़ा का गुमाँ नहीं

ग़ालिब

हुजूम-ए-नाला हैरत आजिज़-ए-अर्ज़-ए-यक-अफ़्ग़ँ है

ग़ालिब

उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

सवाल सख़्त था दरिया के पार उतर जाना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

राएगाँ सब कुछ हुआ कैसी बसीरत क्या हुनर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

जुरअत-ए-इज़हार से रोकेगी क्या

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

कभी बे-नियाज़-ए-मख़्ज़न कभी दुश्मन-ए-किनारा

फ़ारूक़ बाँसपारी

दश्त-ए-वहशत ने फिर पुकारा है

फ़रहत शहज़ाद

था पा-शिकस्ता आँख मगर देखती तो थी

फ़रहत क़ादरी

बहादुरी जो नहीं है तो बुज़दिली भी नहीं

फख्र ज़मान

जब तक मिज़ाज-ए-दोस्त में कुछ बरहमी रही

फ़ैज़ुल हसन

लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

ग़म में इक मौज सरख़ुशी की है

एहतिशाम हुसैन

परस्तिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं

एहसान दानिश

दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़

एहसान दानिश

राज़-ए-निहाँ थी ज़िंदगी राज़-ए-निहाँ है आज भी

दर्शन सिंह

क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से अहल-ए-जहाँ मफ़र नहीं

दर्शन सिंह

मिरी रात मेरा चराग़ मेरी किताब दे

बुशरा एजाज़

यही समझा हूँ बस इतनी हुई है आगही मुझ को

ब्रहमा नन्द जलीस

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