बात Poetry (page 115)

मोहब्बत का जिसे इरफ़ाँ नहीं है

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

कोई नज़्र-ए-ग़म-ए-हालात न होने पाए

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

मिरी बात-चीत उस से 'एहसाँ' कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

मज़े की बात तो ये है कि बे-मज़ा है वो दिल

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

पूछी न ख़बर कभी हमारी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दामन की फ़िक्र है न गरेबाँ की फ़िक्र है

अब्दुल मतीन नियाज़

पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मेरी आँखों में आँसू प्यारे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब भी गुलशन में चली ठंडी हवा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

दिल की पर्वाज़ है ला-मकाँ तक

अब्दुल मन्नान तरज़ी

तू जो आबाद है ऐ दोस्त मिरे दिल के क़रीब

अब्दुल मलिक सोज़

मुन्कशिफ़ तल्ख़ी-ए-हालात न होने पाई

अब्दुल मलिक सोज़

दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

न मोहतसिब की न हूर-ओ-जिनाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

जो मुश्त-ए-ख़ाक हो उस ख़ाक-दाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

सच तो ये है कि नदामत ही हुई

अब्दुल मजीद हैरत

मुद्दतों देख लिया चुप रह के

अब्दुल मजीद हैरत

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा

अब्दुल हमीद अदम

मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है

अब्दुल हमीद अदम

क्या बात है ऐ जान-ए-सुख़न बात किए जा

अब्दुल हमीद अदम

खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई

अब्दुल हमीद अदम

ख़ैरात सिर्फ़ इतनी मिली है हयात से

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है

अब्दुल हमीद अदम

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

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