रुक जाएगा Poetry (page 2)

मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ

शेवन बिजनौरी

मेहरबाँ पाते नहीं तेरे तईं यक आन हम

शेर मोहम्मद ख़ाँ ईमान

ये सच है दुनिया बहुत हसीं है

शारिक़ कैफ़ी

सिदक़-ओ-सफ़ा-ए-क़ल्ब से महरूम है हयात

शकील बदायुनी

रह वफ़ा में कोई साहिब-ए-जुनूँ न मिला

शकील बदायुनी

निगाह-ए-नाज़ का इक वार कर के छोड़ दिया

शकील बदायुनी

मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं

शकील बदायुनी

इस दर्जा बद-गुमाँ हैं ख़ुलूस-ए-बशर से हम

शकील बदायुनी

रुख़्सार आज धो कर शबनम ने पंखुड़ी के

शकेब जलाली

बाग़ में कलियों का मुस्काना गया

शाइस्ता सहर

जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं

शहज़ाद अहमद

यूँ तसव्वुर में बसर रात किया करते थे

शफ़ीक़ जौनपुरी

मौसम-ए-गुल है न दौर-जाम-ओ-सहबा रह गया

शफ़ीक़ जौनपुरी

कब से इस दुनिया को सरगर्म-ए-सफ़र पाता हूँ मैं

शफ़ीक़ जौनपुरी

शर्तें जो बंदगी में लगाना रवा हुआ

शाद लखनवी

नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी

सीमाब अकबराबादी

शुऊर की तह के फाटकों पर

सत्यपाल आनंद

इर्तिक़ा

सरवत ज़ेहरा

सवाब की दुआओं ने गुनाह कर दिया मुझे

सरवत ज़ेहरा

उसी का जल्वा-ए-ज़ेबा है चाँदनी क्या है

सरीर काबिरी

तिलिस्म-ए-लफ़्ज़-ओ-मआ'नी को तार तार करें

समद अंसारी

नया मज़मूँ किताब-ए-ज़ीस्त का हूँ

सलीम अहमद

तुम्हें मिरे ख़याल की मुसव्विरी क़ुबूल हो

सलाम मछली शहरी

गुज़रा है नागवार उन्हें बे-कसी का शोर

सज्जाद शम्सी

उसे मैं तलाश कहाँ करूँ वो उरूज है मैं ज़वाल हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

नुमायाँ और भी रुख़ तेरी बे-रुख़ी में रहे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

गाँधी

साहिर होशियारपुरी

जज़्बा-ए-सोज़-ए-तलब को बे-कराँ करते चलो

साग़र सिद्दीक़ी

ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं

साग़र सिद्दीक़ी

ऐ हुस्न-ए-लाला-फ़ाम! ज़रा आँख तो मिला

साग़र सिद्दीक़ी

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