लोड Poetry (page 7)

सुर्ख़ हो जाता है मुँह मेरी नज़र के बोझ से

रशीद लखनवी

थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम

रम्ज़ी असीम

हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे

रम्ज़ी असीम

'नून-मीम-राशिद' के इंतिक़ाल पर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कोई भूली हुई शय ताक़-ए-हर-मंज़र पे रक्खी थी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए

रईस अमरोहवी

ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं

इरफ़ान सत्तार

अकेले पार उतर के बहुत है रंज मुझे

इरफ़ान अहमद

नक़ाब चेहरे से उस के कभी सरकता था

इरफ़ान अहमद

वो दोस्त था तो उसी को अदू भी होना था

इक़बाल साजिद

दिल-ए-मुज़्तर को हम कुछ इस तरह समझाए जाते हैं

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

कुछ ऐसे ज़ख़्म भी दर-पर्दा हम ने खाए हैं

इक़बाल अज़ीम

जो उस के होंटों की जुम्बिश में क़ैद था 'अशहर'

इक़बाल अशहर

बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का

इक़बाल अशहर

ज़रा सी बात से मंज़र बदल भी सकता था

इक़बाल अंजुम

मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना

इमदाद अली बहर

चार दिन है ये जवानी न बहुत जोश में आ

इमदाद अली बहर

गरचे क़लम से कुछ न लिखेंगे मुँह से कुछ नहीं बोलेंगे

इलियास इश्क़ी

मेरा और फूलों का रिश्ता टूट गया

इलियास बाबर आवान

यूँ है तिरी तलाश पे अब तक यक़ीं मुझे

इफ़्तिख़ार नसीम

वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर

इफ़्तिख़ार नसीम

जिला-वतन हूँ मिरा घर पुकारता है मुझे

इफ़्तिख़ार नसीम

अपना सारा बोझ ज़मीं पर फेंक दिया

इफ़्तिख़ार नसीम

यक़ीन से यादों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता

इफ़्तिख़ार आरिफ़

वो आलम है कि हर मौज-ए-नफ़स है रूह पर भारी

हुरमतुल इकराम

जब तक ज़मीं पे रेंगते साए रहेंगे हम

हिमायत अली शाएर

दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो

हिमायत अली शाएर

मुस्तक़िल हाथ मिलाते हुए थक जाता हूँ

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ज़रा सी चोट लगी थी कि चलना भूल गए

हसीब सोज़

शौक़ से आप ये अंग्रेज़ी दवा भी लेते

हसीब सोज़

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