लोड Poetry (page 12)

एहसास देख पाए वो मंज़र तलाश कर

अलीउद्दीन नवेद

अपने से बे-समझ को हक़ की कहाँ पछानत

अलीमुल्लाह

दबी आवाज़ में करती थी कल शिकवे ज़मीं मुझ से

अली जव्वाद ज़ैदी

नाम ओ नसब

अली अकबर नातिक़

हिज्र बना आज़ार सफ़र कैसे कटता

अली अकबर मंसूर

बादा-ख़ाने की रिवायत को निभाना चाहिए

अलीम उस्मानी

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है

आलम ख़ुर्शीद

निकल रहा हूँ यक़ीं की हद से गुमाँ की जानिब

अकरम महमूद

काविश

अख़्तर-उल-ईमान

फ़ासला

अख़्तर-उल-ईमान

एक एहसास

अख़्तर-उल-ईमान

बाज़-आमद --- एक मुन्ताज

अख़्तर-उल-ईमान

नफ़रतों से चेहरा चेहरा गर्द था

अख़्तर फ़िरोज़

में महफ़िल-ए-हयात में हैरान सा रहा

अख़लाक़ अहमद आहन

ख़्वाब आराम नहीं ख़्वाब परेशानी है

अकबर मासूम

जिन पे अजल तारी थी उन को ज़िंदा करता है

अकबर हैदराबादी

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद

अकबर इलाहाबादी

हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता

अकबर इलाहाबादी

मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है

अजमल सिराज

तुम्हें जब कभी मिलें फ़ुर्सतें मिरे दिल से बोझ उतार दो

ऐतबार साजिद

तुम्हें जब कभी मिलें फ़ुर्सतें मिरे दिल से बोझ उतार दो

ऐतबार साजिद

ज़मीन अपने बेटों को पहचानती है

ऐन ताबिश

होता है दिन-रात यहाँ अब झगड़ा भाई भाई में

अहसन इमाम अहसन

इल्म की ज़रूरत

अहमक़ फफूँदवी

दिन हुआ कट कर गिरा मैं रौशनी की धार से

अहमद ज़फ़र

मुसलसल याद आती है चमक चश्म-ए-ग़ज़ालाँ की

अहमद मुश्ताक़

किसी का अक्स-ए-बदन था न वो शरारा था

अहमद महफ़ूज़

आया ही नहीं कोई बोझ अपना उठाने को

अहमद महफ़ूज़

ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था

अहमद ख़याल

ज़रा ज़रा सी कई कश्तियाँ बना लेना

अहमद कमाल परवाज़ी

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