इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3685) Peoples Rate This
रुस्वा वो हुआ जो मस्त पैमाना हुआ
इल्म ओ हिकमत में हो अगर ख़्वाहिश-ए-फ़ेम
बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है
फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं
जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं
तअल्लुक़ आशिक़ ओ माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था
तरीक़-ए-इश्क़ में मुझ को कोई कामिल नहीं मिलता
हवा-ए-शब भी है अम्बर-अफ़्शाँ उरूज भी है मह-ए-मुबीं का
इक बोसा दीजिए मिरा ईमान लीजिए
लिपट भी जा न रुक 'अकबर' ग़ज़ब की ब्यूटी है
ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शक