दम Poetry (page 26)

लग जा तू मिरे सीना से दरवाज़ा को कर बंद

इंशा अल्लाह ख़ान

किनाया और ढब का इस मिरी मज्लिस में कम कीजे

इंशा अल्लाह ख़ान

जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

जब तक कि ख़ूब वाक़िफ़-ए-राज़-ए-निहाँ न हूँ

इंशा अल्लाह ख़ान

हज़रत-ए-इश्क़ इधर कीजे करम या माबूद

इंशा अल्लाह ख़ान

है मुझ को रब्त बस-कि ग़ज़ालान-ए-रम के साथ

इंशा अल्लाह ख़ान

गली से तेरी जो टुक हो के आदमी निकले

इंशा अल्लाह ख़ान

गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही

इंशा अल्लाह ख़ान

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा

इंशा अल्लाह ख़ान

कोई तो है जो आहों में असर आने नहीं देता

इमरान-उल-हक़ चौहान

जल कर जिस ने जल को देखा

इमरान शमशाद

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

इमरान हुसैन आज़ाद

मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं

इमरान आमी

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

इमरान आमी

ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

इम्दाद इमाम असर

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या

इम्दाद इमाम असर

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है

इम्दाद इमाम असर

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो

इमदाद अली बहर

तेरी हर इक बात है नश्तर न छेड़

इमदाद अली बहर

सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके

इमदाद अली बहर

सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके

इमदाद अली बहर

शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का

इमदाद अली बहर

साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

इमदाद अली बहर

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