दम Poetry (page 28)

नाकामी

इफ़्तिख़ार आज़मी

किस लिए कतरा के जाता है मुसाफ़िर दम तो ले

इब्राहीम अश्क

रात भर तन्हा रहा दिन भर अकेला मैं ही था

इब्राहीम अश्क

सब मुतमइन थे सुब्ह का अख़बार देख कर

हुसैन ताज रिज़वी

ज़मीं का दम निकलता जा रहा है

हुसैन आबिद

ज़मीं का दम निकलता जा रहा है

हुसैन आबिद

कोई मोनिस नहीं मेरा कोई ग़म-ख़्वार नहीं

हीरानंद सोज़

कोई भी शख़्स जो वहम-ओ-गुमाँ की ज़द में रहा

हीरानंद सोज़

'शाइर' उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप

हिमायत अली शाएर

अन-कही

हिमायत अली शाएर

हर क़दम पर नित-नए साँचे में ढल जाते हैं लोग

हिमायत अली शाएर

रास्ता देर तक सोचता रह गया

हिलाल फ़रीद

आँसू तो कोई आँख में लाया नहीं हूँ मैं

हिलाल फ़रीद

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

फिर फ़ज़ा धुँदला गई आसार हैं तूफ़ान के

हज़ीं लुधियानवी

महक किरदार की आती रही है

हयात लखनवी

साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली

हातिम अली मेहर

नाला-ए-गर्म के और दम सर्द भरे क्या जिएँ हम तो मरे

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

खुल गया उन की मसीहाई का आलम शब-ए-वस्ल

हातिम अली मेहर

जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा

हातिम अली मेहर

ईज़ाएँ उठाए हुए दुख पाए हुए हैं

हातिम अली मेहर

इश्क़-ए-जान-ए-जहाँ नसीब हुआ

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यार

हस्सान अहमद आवान

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

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