दम Poetry (page 58)

जलते थे तुम कूँ देख के ग़ैर अंजुमन में हम

आबरू शाह मुबारक

हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का

आबरू शाह मुबारक

अगर अँखियों सीं अँखियों को मिलाओगे तो क्या होगा

आबरू शाह मुबारक

आगे बढ़ने वाले

अबरार अहमद

ये भी तो कमाल हो गया है

अबरार अहमद

यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम

अबरार अहमद

दम के दम में दुनिया बदली भीड़ छटी कोहराम उठा

आबिद नामी

आप करिश्मा-साज़ हुए हैं होश में है दीवाना भी

आबिद नामी

ताज़ा-दम जवानी रख

अब्दुस्समद ’तपिश’

मिज़्गाँ ने रोका आँखों में दम इंतिज़ार से

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे

अब्दुल्लाह कमाल

कभी प्यारा कोई मंज़र लगेगा

अब्दुल्लाह जावेद

इक सैल-ए-बे-पनाह की सूरत रवाँ है वक़्त

अब्दुल्लाह जावेद

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे

अब्दुल वहाब यकरू

क्यूँ न रुक रुक के आए दम मेरा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

किस को उस का ग़म हो जिस दम ग़म से वो ज़ारी करे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

तीर पहलू में नहीं ऐ रुफ़क़ा-ए-पर्वाज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

क्यूँ ख़फ़ा तू है क्या कहा मैं ने

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हर आन जल्वा नई आन से है आने का

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

अपने वहम-ओ-गुमान से निकला

अब्दुल मतीन नियाज़

ज़लज़ले सख़्त आते रहे रात-भर

अब्दुल मन्नान तरज़ी

बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने

अब्दुल मन्नान समदी

मुझ से मेरी हयात रूठ गई

अब्दुल मलिक सोज़

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