दुनिया Poetry (page 51)

वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा

हुरमतुल इकराम

वो आलम है कि हर मौज-ए-नफ़स है रूह पर भारी

हुरमतुल इकराम

उस के सिवा क्या अपनी दौलत

हुरमतुल इकराम

रहेगा अक़्ल के सीने पे ता-अबद ये दाग़

हुरमतुल इकराम

एक दुनिया कह रही है कौन किस का आश्ना

हुरमतुल इकराम

जैसे कोई ज़िद्दी बच्चा कब बहले बहलाने से

हुमैरा रहमान

ख़ुशी मेरी गवारा थी न क़िस्मत को न दुनिया को

हुमैरा राहत

ये कहना था जो दुनिया कह रही है

हुमैरा राहत

कहानी को मुकम्मल जो करे वो बाब उठा लाई

हुमैरा राहत

कहीं पे माल-ओ-दुनिया की ख़रीदार की बातें हैं

हिना हैदर

जवाब

हिमायत अली शाएर

यम-ब-यम फैला हुआ है प्यास का सहरा यहाँ

हिमायत अली शाएर

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

परतव-ए-हुस्न हूँ इस वास्ते महदूद हूँ मैं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी

हीरा लाल फ़लक देहलवी

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

हो ख़ुदा का करम इरादों पर

हीरा लाल फ़लक देहलवी

दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो

हीरा लाल फ़लक देहलवी

अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

दास्तान-ए-फ़ितरत है ज़र्फ़ की कहानी है

हयात वारसी

कू-ए-क़ातिल में बसेगी नई दुनिया इक और

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र कर वाइ'ज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

अजब है 'मेहर' से उस शोख़ की विसाल का वक़्त

हातिम अली मेहर

शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता

हस्तीमल हस्ती

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