दुनिया Poetry (page 53)

कितनी बे-रंग थी दुनिया मिरे ख़्वाबों की 'जमील'

हसन जमील

देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को

हसन बरेलवी

तुम भी हो ख़ंजर-ए-खुशाब भी है

हसन बरेलवी

क्या तर्जुमानी-ए-ग़म-ए-दुनिया करें कि जब

हसन अकबर कमाल

उसे शिकस्त न होने पे मान कितना था

हसन अकबर कमाल

क्या गुमाँ था कि न होगा कोई हम-सर अपना

हसन अकबर कमाल

हो तेरी याद का दिल में गुज़र आहिस्ता आहिस्ता

हसन अकबर कमाल

ग़म-ए-जाँ गुम ग़म-ए-दुनिया में तो होना मुश्किल

हसन अकबर कमाल

दुख उठाओ कितने ही घर बहार करने में

हसन अकबर कमाल

दिल में तिरे ख़ुलूस समोया न जा सका

हसन अकबर कमाल

इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है

हसन अब्बास रज़ा

इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है

हसन अब्बास रज़ा

हमें तो ख़्वाहिश-ए-दुनिया ने रुस्वा कर दिया है

हसन अब्बास रज़ा

आँखों से ख़्वाब दिल से तमन्ना तमाम-शुद

हसन अब्बास रज़ा

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

हरी चंद अख़्तर

उमीदों से दिल-ए-बर्बाद को आबाद करता हूँ

हरी चंद अख़्तर

सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं

हरी चंद अख़्तर

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

हरी चंद अख़्तर

सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया

हरी चंद अख़्तर

मिलेगी शैख़ को जन्नत, हमें दोज़ख़ अता होगा

हरी चंद अख़्तर

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

ख़ुशी गर है तो क्या मातम नहीं है

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

आइए आसमाँ की ओर चलें

हनीफ़ तरीन

फ़ज़ाओं में कुछ ऐसी खलबली थी

हनीफ़ फ़ौक़

वो मुझे सोज़-ए-तमन्ना की तपिश समझा गया

हनीफ़ अख़गर

वो निगह जब मुझे पुकारती थी

हम्माद नियाज़ी

बे-सबब हो के बे-क़रार आया

हम्माद नियाज़ी

मिरी दुनिया का मेहवर मुख़्तलिफ़ है

हमीदा शाहीन

एक इंसान हूँ इंसाँ का परस्तार हूँ मैं

हामिद मुख़्तार हामिद

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