दुश्मन Poetry (page 26)

सिर्फ़ कर्ब-ए-अना दिया है मुझे

आबिद मुनावरी

गरचे नेज़ों पे सर है

अब्दुस्समद ’तपिश’

न पहुँचे छूट कर कुंज-ए-क़फ़स से हम नशेमन तक

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

अश्क ढलते नहीं देखे जाते

अब्दुल्लाह जावेद

आग सीनों में जला कर रखिए

अब्दुल सलाम

मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा

अब्दुल हमीद अदम

किसी का क़हर किसी की दुआ मिले तो सही

अब्दुल हमीद

कभी देखो तो मौजों का तड़पना कैसा लगता है

अब्दुल हमीद

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

आज फिर शब का हवाला तिरी जानिब ठहरे

अब्दुल अहद साज़

साँस के हम-राह शो'ले की लपक आने को है

अब्बास ताबिश

मकाँ-भर हम को वीरानी बहुत है

अब्बास ताबिश

बदन के चाक पर ज़र्फ़-ए-नुमू तय्यार करता हूँ

अब्बास ताबिश

न हो जिस पे भरोसा उस से हम यारी नहीं रखते

अब्बास दाना

मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है

अब्बास दाना

किधर का था किधर का हो गया हूँ

आज़िम कोहली

हवा आई न ईंधन आ रहा है

आतिफ़ कमाल राना

असीरान-ए-क़फ़स ऐसा तो हो तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ अपना

आसी रामनगरी

इतना तो जानते हैं कि आशिक़ फ़ना हुआ

आसी ग़ाज़ीपुरी

ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और

आनिस मुईन

हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और

आनिस मुईन

किसी को कोसते क्यूँ हो दुआ अपने लिए माँगो

आग़ा अकबराबादी

निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं

आग़ा अकबराबादी

हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा

आग़ा अकबराबादी

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

आग़ा अकबराबादी

बाबा गाँधी

आफ़ताब राईस पानीपती

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