सड़क Poetry (page 7)

किस बुरी साअत से ख़त ले कर गया

शाद अज़ीमाबादी

अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र में असर आया

शाद अज़ीमाबादी

दोस्तों का ज़िक्र क्या दुश्मन हैं जब बदले हुए

शबनम शकील

खोट की माला झूट जटाएँ अपने अपने ध्यान

सीमाब ज़फ़र

खो कर तिरी गली में दिल-ए-बे-ख़बर को मैं

सीमाब अकबराबादी

दिल का दिलबर जब से दिल की धड़कन होने वाला है

सय्यद ज़िया अल्वी

तेरी गली में इक दीवाना अक्सर आया करता था

सय्यद नसीर शाह

जिस दम वो सनम सवार होवे

मोहम्मद रफ़ी सौदा

बे-वज्ह नईं है आइना हर बार देखना

मोहम्मद रफ़ी सौदा

आधा-अधूरा शख़्स

सत्यपाल आनंद

कहाँ कहाँ से निगह उस को ढूँड लाए है

सत्य नन्द जावा

आया था कोई ज़ेहन तक आ कर पलट गया

सत्य नन्द जावा

नींद से जागी हुई आँखों को अंधा कर दिया

सरमद सहबाई

किस शख़्स की तलाश में सर फोड़ती रही

सरमद सहबाई

मस्ताना हीजड़ा

साक़ी फ़ारुक़ी

कैमरा

साक़ी फ़ारुक़ी

ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे

सालिम सलीम

सुकूत-ए-अर्ज़-ओ-समा में ख़ूब इंतिशार देखूँ

सालिम सलीम

हंगामा-ए-सुकूत बपा कर चुके हैं हम

सालिम सलीम

फिर कोई महशर उठाने मेरी तन्हाई में आ

सलीम शाहिद

तू दरिया है और ठहरने वाला मैं

सलीम मुहीउद्दीन

अक्स हैरान है आइना कौन है

सलीम मुहीउद्दीन

साए गली में जागते रहते हैं रात भर

सलीम कौसर

वो जो हम-रही का ग़ुरूर था वो सवाद-ए-राह में जल-बुझा

सलीम कौसर

तू सूरज है तेरी तरफ़ देखा नहीं जा सकता

सलीम कौसर

कभी सितारे कभी कहकशाँ बुलाता है

सलीम कौसर

ग़ुबार होती सदी के सहराओं से उभरते हुए ज़माने

सलीम कौसर

ज़िंदगी मौत के पहलू में भली लगती है

सलीम अहमद

मैं उस को भूल गया था वो याद सा आया

सलीम अहमद

बाढ़

सज्जाद ज़हीर

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