ओर Poetry (page 11)

हिसार के सभी निज़ाम गर्द गर्द हो गए

रियाज़ लतीफ़

बदन के गुम्बद-ए-ख़स्ता को साफ़ क्या करता

रियाज़ लतीफ़

इस से अच्छे दश्त-ए-सहरा इस से अच्छे गर्द-बाद

रियाज़ ख़ैराबादी

ये सर-ब-मोहर बोतलें हैं जो शराब की

रियाज़ ख़ैराबादी

थका ले और दौर-ए-आसमाँ तक

रियाज़ ख़ैराबादी

रहे हम आशियाँ में भी तो बर्क़-ए-आशियाँ हो कर

रियाज़ ख़ैराबादी

जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह

रियाज़ ख़ैराबादी

न फूल हूँ न सितारा हूँ और न शो'ला हूँ

रिफ़अत सरोश

चाहतों का जो शजर है दोस्तो

रिफ़अत अल हुसैनी

निशान क़ाफ़ला-दर-क़ाफ़ला रहेगा मिरा

रियाज़ मजीद

ख़ुदा से उसे माँग कर देखते हैं

रेनू नय्यर

ख़ुदा से उसे माँग कर देखते हैं

रेनू नय्यर

ज़ियादा पास मत आना

रहमान फ़ारिस

कौन कहाँ तक जा सकता है

रेहाना रूही

शम्अ' की आग़ोश ख़ाली कर के परवाना चला

रज़ा जौनपुरी

टुक तू महमिल का निशाँ दे जल्द ऐ सूरत ज़रा

रज़ा अज़ीमाबादी

किस लिए सहरा के मुहताज-ए-तमाशा होजिए

रज़ा अज़ीमाबादी

दिल में झाँका तो बहुत ज़ख़्म पुराने निकले

रज़ा अमरोही

शिकस्त-ए-रंग-ए-तमन्ना को अर्ज़-ए-हाल कहूँ

रविश सिद्दीक़ी

उम्र भर पेश-ए-नज़र माह-ए-तमाम आते रहे

रौनक़ रज़ा

न जाने कब से मैं गर्द-ए-सफ़र की क़ैद में था

रौनक़ रज़ा

नियाज़-आगीं है और नाज़-आफ़रीं भी

रौनक़ दकनी

ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ

रौनक़ दकनी

यक़ीं से फूटती है या गुमाँ से आती है

राशिद तराज़

और ज़रा कज मिरी कुलाह तो होती

राशिद मुफ़्ती

सफ़र से किस को मफ़र है लेकिन ये क्या कि बस रेग-ज़ार आएँ

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

कोई साया न शजर याद आया

राशिद हामिदी

ख़िलाफ़ सारी लकीरें थीं हाथ मलते क्या

राशिद अनवर राशिद

ज़ाद-ए-सफ़र

राशिद आज़र

वही तअल्लुक़-ए-ख़ातिर जो बर्क़-ओ-बाद में है

राशिद आज़र

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