हाल Poetry (page 58)

हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

क़फ़स-नसीबों का उफ़ हाल-ए-ज़ार क्या होगा

आसी रामनगरी

अजीब शहर का नक़्शा दिखाई देता है

आसी रामनगरी

किसे बताते कि मंज़र निगाह में क्या था

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँगन में छोड़ आए थे जो ग़ार देख लें

आशुफ़्ता चंगेज़ी

वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी

आनिस मुईन

कुछ भी नहीं है पास तुम्हारी दुआ तो है

आनन्द सरूप अंजुम

ख़्वाबों से यूँ तो रोज़ बहलते रहे हैं हम

आल-ए-अहमद सूरूर

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

आग़ा अकबराबादी

शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना

आग़ा अकबराबादी

पाँव फिर होवेंगे और दश्त-ए-मुग़ीलाँ होगा

आग़ा अकबराबादी

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर

आफ़ताब राईस पानीपती

भगवान कृष्ण के चरनों में श्रधा के फूल चढ़ाने को

आफ़ताब राईस पानीपती

दानिस्ता हम ने अपने सभी ग़म छुपा लिए

आफ़ाक़ सिद्दीक़ी

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