हाल Poetry (page 1)

इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

किस रंग में हैं अहल-ए-वफ़ा उस से न कहना

महमूद शाम

मुसलमान और हिन्दोस्तान

हिन्दी गोरखपुरी

हिजरत

नादिया अंबर लोधी

सीढ़ियाँ

ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी

याद

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

भए कबीर उदास

हबीब जालिब

गुज़़रेंगे तेरे दौर से जो कुछ भी हाल हो

अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी

हक़ीक़त है कि नन्हा सा दिया हूँ

वलीउल्लाह वली

कोई रुत्बा तो कोई नाम-नसब पूछता है

ख़ुद अपने ख़ून में पहले नहाया जाता है

वरुन आनन्द

नहीं ख़स्ता-हाली पे ना-मुतमइन हम

अनवर शऊर

प्यार का यूँ दस्तूर निभाना पड़ता है

वलीउल्लाह वली

किसी के नाम को लिखते हुए मिटाते हुए

रश्मि सबा

मौजों की साज़िशों ने किनारा नहीं दिया

वफ़ा नक़वी

ग़ज़ल की चाहतों अशआ'र की जागीर वाले हैं

वरुन आनन्द

गाँधी के बा'द

इज़हार मलीहाबादी

यौम-ए-बर्क़

बिर्ज लाल रअना

सुकूत-ए-शब

अज़हर क़ादिरी

चारागर

दर्शन सिंह

क़र्या-ए-वीराँ

मुख़्तार सिद्दीक़ी

इज़हार-ए-हाल सुन के हमारा कभी कभी

सारा बाग़ उलझ जाता है ऐसी बे-तरतीबी से

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

निकला हूँ शहर-ए-ख़्वाब से ऐसे अजीब हाल में

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

ज़ुल्म तो ये है कि शाकी मिरे किरदार का है

ज़ुहूर नज़र

क़हत-ए-वफ़ा-ए-वा'दा-ओ-पैमाँ है इन दिनों

ज़ुहूर नज़र

अपनी ज़ात के सारे ख़ुफ़िया रस्ते उस पर खोल दिए

ज़ुबैर रिज़वी

बशारत पानी की

ज़ुबैर रिज़वी

हम दोनों में कोई न अपने क़ौल-ओ-क़सम का सच्चा था

ज़ुबैर रिज़वी

वाक़िआ कोई तो हो जाता सँभलने के लिए

ज़ुबैर फ़ारूक़

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