भए कबीर उदास

इक पटरी पर सर्दी में अपनी तक़दीर को रोए

दूजा ज़ुल्फ़ों की छाँव में सुख की सेज पे सोए

राज-सिंघासन पर इक बैठा और इक उस का दास

भए कबीर उदास

ऊँचे ऊँचे ऐवानों में मूरख हुक्म चलाएँ

क़दम क़दम पर इस नगरी में पंडित धक्के खाएँ

धरती पर भगवान बने हैं धन है जिन के पास

भए कबीर उदास

गीत लिखाएँ पैसे ना दें फ़िल्म नगर के लोग

उन के घर बाजे शहनाई लेखक के घर सोग

गाएक सुर में क्यूँ कर गाए क्यूँ ना काटे घास

भए कबीर उदास

कल तक था जो हाल हमारा हाल वही है आज

'जालिब' अपने देस में सुख का काल वही है आज

फिर भी मोची-गेट पे लीडर रोज़ करें बकवास

भए कबीर उदास

(4027) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bhae Kabir Udas In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Bhae Kabir Udas is written by Habib Jalib. Complete Poem Bhae Kabir Udas in Hindi by Habib Jalib. Download free Bhae Kabir Udas Poem for Youth in PDF. Bhae Kabir Udas is a Poem on Inspiration for young students. Share Bhae Kabir Udas with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.