इरादा Poetry (page 6)

जब दिल में ज़रा भी आस न हो इज़्हार-ए-तमन्ना कौन करे

आनंद नारायण मुल्ला

भीड़ में इक अजनबी का सामना अच्छा लगा

अमजद इस्लाम अमजद

मुझ को पाने के सिवा और तमन्ना क्या है

अमित शर्मा मीत

खींच लाया तुझे एहसास-ए-तहफ़्फ़ुज़ मुझ तक

अमीता परसुराम 'मीता'

जब से बाँधा है तसव्वुर उस रुख़-ए-पुर-नूर का

अमीर मीनाई

हुआ जो पैवंद मैं ज़मीं का तो दिल हुआ शाद मुझ हज़ीं का

अमीर मीनाई

मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ

अलीना इतरत

तन्हाई में

अख़्तर-उल-ईमान

कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके

अख़्तर नज़्मी

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

अख़्तर होशियारपुरी

जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब

अजमल सिराज

दिल हैं यूँ मुज़्तरिब मकानों में

ऐतबार साजिद

मैं ने जब हद से गुज़रने का इरादा कर लिया

ऐनुद्दीन आज़िम

हम उन के नक़्श-ए-क़दम ही को जादा करते रहे

अहमद नदीम क़ासमी

ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है

अहमद मुश्ताक़

छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ

अहमद महफ़ूज़

जुनूँ को रख़्त किया ख़ाक को लिबादा किया

अहमद ख़याल

मुँह अँधेरे घर से निकले फिर थे हंगामे बहुत

अहमद हमदानी

था अबस तर्क-ए-तअल्लुक़ का इरादा यूँ भी

अहमद फ़राज़

न तेरा क़ुर्ब न बादा है क्या किया जाए

अहमद फ़राज़

जिस्म शो'ला है जभी जामा-ए-सादा पहना

अहमद फ़राज़

फ़स्ल-ए-गुल में है इरादा सू-ए-सहरा अपना

आग़ा हज्जू शरफ़

बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो

अफ़ज़ल ख़ान

तभी तो मैं मोहब्बत का हवालाती नहीं होता

अफ़ज़ल ख़ान

हज़ार बार इरादा किए बग़ैर भी हम

अदीब सहारनपुरी

नहीं किसी की तवज्जोह ख़ुद-आगही की तरफ़

अदीब सहारनपुरी

वही ना-सबूरी-ए-आरज़ू वही नक़्श-ए-पा वही जादा है

अदा जाफ़री

बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़

अबुल हसनात हक़्क़ी

बे-नियाज़ दहर कर देता है इश्क़

अबुल हसनात हक़्क़ी

मिट्टी थी किस जगह की

अबरार अहमद

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