इरादा Poetry (page 5)

खंडर ये फिर बसाने का इरादा ही नहीं था

दानियाल तरीर

उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं

दाग़ देहलवी

अक़्ल हैरान है रहमत का तक़ाज़ा क्या है

चरख़ चिन्योटी

ये शहर-ए-ना-रसाई है

बुशरा एजाज़

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

शिकवा अपने तालेओं की ना-रसाई का करूँ

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

मतलब न काबे से न इरादा कनिश्त का

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

वाँ इरादा आज उस क़ातिल के दिल में और है

ज़फ़र

तिरी तलाश में निकले हैं तेरे दीवाने

अज़ीज़ वारसी

हक़ीक़तों का नई रुत की है इरादा क्या

अज़हर इनायती

यक़ीं बनाता है कोई गुमाँ बनाता है

आज़र तमन्ना

हवस ने मुझ से पूछा था तुम्हारा क्या इरादा है

औरंगज़ेब

उसे अब भूल जाने का इरादा कर लिया है

अताउल हक़ क़ासमी

कुछ तो मायूस दिल तेरे बस में भी है

असरारुल हक़ असरार

रात फिर ख़्वाब में आने का इरादा कर के

असरा रिज़वी

होंटों को फूल आँख को बादा नहीं कहा

आसिम वास्ती

तालिब हो वहाँ आन के क्या कोई सनम का

आसिफ़ुद्दौला

लहू रोता है

अशोक लाल

है कौन जिस से कि वादा ख़ता नहीं होता

अशहर हाशमी

अनार्किज़्म

असग़र मेहदी होश

ज़िंदगी इक नई राह पर

असर अकबराबादी

किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है

अरशद कमाल

दिल-ए-बेताब को बहलाने चले आए हैं

अर्श सहबाई

भूलने वाले तुझे याद किया है बरसों

अनवापुल हसन अनवार

बहुत इरादा किया कोई काम करने का

अनवर शऊर

उबूर कर न सके हम हदें ही ऐसी थीं

अनवर शऊर

कासा-लेसों ने जो थी नज़्र उतारी तेरी

अनवर सदीद

क्या सुनाएँ तुम्हें कोई ताज़ा ग़ज़ल

अनवर नदीम

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

किसी तरह से मैं टल जाऊँ अपनी मर्ज़ी से

अंजुम सलीमी

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