किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है

किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है

मिरा दिल मेरे पहलू में पराया हो गया है

वो आए तो लगा ग़म का मुदावा हो गया है

मगर ये क्या कि ग़म कुछ और गहरा हो गया है

सवाद-ए-शब तिरे सदक़े कुछ ऐसा हो गया है

भँवर भी देखने में अब किनारा हो गया है

मैं उन की गुफ़्तुगू से आलम-ए-सकता में गुम था

वो समझे उन की बातों से दिलासा हो गया है

कभी मौक़ा मिले तो गुफ़्तुगू कर लूँ ख़बर लूँ

कि ख़ुद से रब्त टूटे एक अर्सा हो गया है

कभी उन का नहीं आना ख़बर के ज़ैल में था

मगर अब उन का आना ही तमाशा हो गया है

मुझे फ़रहाद ओ मजनूँ आफ़रीं कहते हैं 'अरशद'

कि अब मेरा भी जीने का इरादा हो गया है

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