जिन्न Poetry (page 41)

नदीम बाग़ में जोश-ए-नुमू की बात न कर

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

पुर-कैफ़ ज़ियाएँ होती हैं पुर-नूर उजाले होते हैं

अख़्तर अंसारी

मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है

अख़्तर अंसारी

अपनी बहार पे हँसने वालो कितने चमन ख़ाशाक हुए

अख़्तर अंसारी

मुझ से मत पूछ मिरा हाल-ए-दरूँ रहने दे

अख़लाक़ बन्दवी

अभी अश्कों में ख़ूँ शामिल नहीं है

अख़लाक़ बन्दवी

आवारगी

अख़लाक़ अहमद आहन

में महफ़िल-ए-हयात में हैरान सा रहा

अख़लाक़ अहमद आहन

जुनून-ए-इश्क़ का जो कुछ हुआ अंजाम क्या कहिए

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

यूँ मिरी तब्अ से होते हैं मआनी पैदा

अकबर इलाहाबादी

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा

अकबर इलाहाबादी

सिखा सकी न जो आदाब-ए-मय वो ख़ू क्या थी

अकबर अली खान अर्शी जादह

सन्नाटा तूफ़ाँ से सिवा हो ये भी तो हो सकता है

अकबर अली खान अर्शी जादह

ख़ुश-रंग किस क़दर ख़स-ओ-ख़ाशाक थे कभी

अकबर अली खान अर्शी जादह

हम अपने-आप में रहते हैं दम में दम जैसे

अजमल सिराज

दर्द-ए-मुसलसल से आहों में पैदा वो तासीर हुई

आजिज़ मातवी

ज़िंदगी में प्यार का सौदा करो

अजीत सिंह हसरत

तू ही इंसाफ़ से कह जिस का ख़फ़ा यार रहे

ऐश देहलवी

फिरा किसी का इलाही किसी से यार न हो

ऐश देहलवी

कुछ कम नहीं हैं शम्अ से दिल की लगन में हम

ऐश देहलवी

सताइश न कीजिए तबर्रा सही

ऐनुद्दीन आज़िम

ला-मकाँ से भी परे ख़ुद से मुलाक़ात करें

ऐनुद्दीन आज़िम

अब जुनूँ के रत-जगे ख़िरद में आ गए

ऐनुद्दीन आज़िम

मुलाक़ातें नहीं फिर भी मुलाक़ातें

ऐन ताबिश

वही जुनूँ की सोख़्ता-जानी वही फ़ुसूँ अफ़्सानों का

ऐन ताबिश

प्यास बढ़ती हुई ता-हद्द-ए-नज़र पानी था

ऐन ताबिश

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही

ऐन ताबिश

जी रहे हैं आफ़ियत में तो हुनर ख़्वाबों का है

ऐन ताबिश

मुतमइन अपने यक़ीं पर अगर इंसाँ हो जाए

अहसन मारहरवी

जब तक जुनूँ जुनूँ है ग़म-ए-आगही भी है

अहमद ज़फ़र

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