कारवां Poetry (page 11)

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

ग़म-ए-हबीब ग़म-ए-दो-जहाँ नहीं होता

अनवर मोअज़्ज़म

बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

अनीस अंसारी

इल्म-ओ-जाह-ओ-ज़ोर-ओ-ज़र कुछ भी न देखा जाए है

आनंद नारायण मुल्ला

उमीदें तो वाबस्ता हैं अब्र-ए-तर से

अम्न लख़नवी

निकल के हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से जाएँ कहीं

अमजद इस्लाम अमजद

थी सियाहियों का मस्कन मिरी ज़िंदगी की वादी

आमिर उस्मानी

यारान-ए-तेज़-गाम ने महमिल को जा लिया

अल्ताफ़ हुसैन हाली

दिल को दर्द-आश्ना किया तू ने

अल्ताफ़ हुसैन हाली

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़

अल्लामा इक़बाल

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

तुलू-ए-इस्लाम

अल्लामा इक़बाल

तस्वीर-ए-दर्द

अल्लामा इक़बाल

तराना-ए-मिल्ली

अल्लामा इक़बाल

तराना-ए-हिन्दी

अल्लामा इक़बाल

मार्च 1907

अल्लामा इक़बाल

इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर

अल्लामा इक़बाल

वही मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ी

अल्लामा इक़बाल

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अल्लामा इक़बाल

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

अल्लामा इक़बाल

ख़ुदी हो इल्म से मोहकम तो ग़ैरत-ए-जिब्रील

अल्लामा इक़बाल

अपनी जौलाँ-गाह ज़ेर-ए-आसमाँ समझा था मैं

अल्लामा इक़बाल

सर-ए-तूर

अली सरदार जाफ़री

सुब्ह हर उजाले पे रात का गुमाँ क्यूँ है

अली सरदार जाफ़री

तय कर चुके ये ज़िंदगी-ए-जावेदाँ से हम

अली जव्वाद ज़ैदी

जो मक़्सद गिर्या-ए-पैहम का है वो हम समझते हैं

अली जव्वाद ज़ैदी

जवानी हरीफ़-ए-सितम है तो क्या ग़म

अली जव्वाद ज़ैदी

न पूछ रब्त है क्या उस की दास्ताँ से मुझे

अलीम अफ़सर

दर्द की इक लहर बल खाती है यूँ दिल के क़रीब

आलमताब तिश्ना

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

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