दान Poetry (page 2)

मुद्दतों हम से मुलाक़ात नहीं करते हैं

फ़रह इक़बाल

कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शामियानों की वज़ाहत तो नहीं की गई है

फ़ैसल अजमी

लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

दामन तेरा मुझ से छूटा मिलने के हालात नहीं

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

ज़मीन अपने ही मेहवर से हट रही होगी

दिलावर अली आज़र

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

तुम ख़फ़ा हो तो अच्छा ख़फ़ा हो

बेदम शाह वारसी

कौन सा घर है कि ऐ जाँ नहीं काशाना तिरा और जल्वा-ख़ाना तिरा

बेदम शाह वारसी

समझ के रस्ता इधर से गुज़रने वालों ने

अज़लान शाह

उड़ान से पहले

अतीया दाऊद

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

फूल पत्थर की चटानों पे खिलाएँ हम भी

असग़र मेहदी होश

बाक़ी न हुज्जत इक दम-ए-इसबात रह गई

अरशद अली ख़ान क़लक़

जो गुम-गश्ता है उस की ज़ात क्या है

अरमान नज्मी

याद करो जब रात हुई थी

अनवर शऊर

उन से तन्हाई में बात होती रही

अनवर शऊर

शिकवा-ए-गर्दिश-ए-हालात लिए फिरता है

अनवर मसूद

इक छोड़ो हो इक और जो मिस मात करो हो

अमीरुल इस्लाम हाशमी

चलो कि ख़ुद ही करें रू-नुमाइयाँ अपनी

अमीर क़ज़लबाश

वादा-ए-वस्ल और वो कुछ बात है

अमीर मीनाई

गुज़र को है बहुत औक़ात थोड़ी

अमीर मीनाई

हर बुत यहाँ टूटे हुए पत्थर की तरह है

अख़तर इमाम रिज़वी

उन को अपने क़रीब देखा है

अजीत कुमार दिल

छोटे छोटे से मफ़ादात लिए फिरते हैं

ऐतबार साजिद

मेरे कश्कोल में डाल और ज़रा इज्ज़ कि मैं

अहमद ख़याल

शहर-ए-सदमात से आगे नहीं जाने वाला

अहमद ख़याल

वो अपने हुस्न की ख़ैरात देने वाले हैं

अहमद कमाल परवाज़ी

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