सूक्ष्म Poetry (page 4)

यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश

मोहम्मद रफ़ी सौदा

वाक़िफ़ थे कहाँ हम दिल-ए-ना-चार से पहले

सरवर आलम राज़

जिस का राहिब शैख़ हो बुत-ख़ाना ऐसा चाहिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

हर-चंद शेर ओ शौक़ की बुनियाद है जुनूँ

सरदार अयाग़

मेरा शुमार कर ले अदद के बग़ैर भी

सरदार अयाग़

खाते हैं हम हचकोले इस पागल संसार के बीच

सरस्वती सरन कैफ़

दिल में औरों के लिए कीना-ओ-कद रखते हैं

सलीम शुजाअ अंसारी

वहम ओ ख़िरद के मारे हैं शायद सब लोग

सलीम शहज़ाद

नहीं है कोई दूसरा मंज़र चारों ओर

सलीम शहज़ाद

अहल-ए-ख़िरद को आज भी अपने यक़ीन के लिए

सलीम कौसर

ऐ शब-ए-हिज्र अब मुझे सुब्ह-ए-विसाल चाहिए

सलीम कौसर

मिरे सफ़र की हदें ख़त्म अब कहाँ होंगी

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हमें चार सम्त की दौड़ में वही गर्द-ए-बाद-ए-सदा मिला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अँधेरे दिन की सफ़ारत को आए हैं अब के

सज्जाद बाक़र रिज़वी

रहीन-ए-ख़्वाब हूँ और ख़्वाब के मकाँ में हूँ

सज्जाद बलूच

रहीन-ए-ख़्वाब हूँ और ख़्वाब के मकाँ में हूँ

सज्जाद बलूच

कोई नहीं आता समझाने

सैफ़ुद्दीन सैफ़

ऐ शरीफ़ इंसानो

साहिर लुधियानवी

अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी

साहिर लुधियानवी

दुनिया में हर क़दम पे हमें तीरगी मिली

साहिर होशियारपुरी

कौनैन-ए-ऐन-ए-इल्म में है जल्वा-गाह-ए-हुस्न

साहिर देहल्वी

मस्त-ए-निगाह-ए-नाज़ का अरमाँ निकालिए

साहिर देहल्वी

हम दिल की निगाहों से जहाँ देख रहे हैं

सहर महमूद

तिरी नज़र के इशारों से खेल सकता हूँ

साग़र सिद्दीक़ी

तेरी नज़र का रंग बहारों ने ले लिया

साग़र सिद्दीक़ी

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है

साग़र सिद्दीक़ी

रास्त अगर सर्व सी क़ामत करे

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़

दिल को पैहम दर्द से दो-चार रहने दीजिए

सादिक़ इंदौरी

इदराक ही मुहाल है ख़्वाब-ओ-ख़याल का

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

आज गुज़रे हुए लम्हों को पुकारा जाए

सबा जायसी

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