शब्द Poetry (page 18)

फ़िशार-ए-तीरह-शबी से सहर निकल आए

आमिर नज़र

वो इक लफ़्ज़ जो बे-सदा जाएगा

अमीर क़ज़लबाश

नक़्श पानी पे बना हो जैसे

अमीर क़ज़लबाश

वो और वा'दा वस्ल का क़ासिद नहीं नहीं

अमीर मीनाई

शहर में सारे चराग़ों की ज़िया ख़ामोश है

अमीर इमाम

वहशत

अम्बरीन सलाहुद्दीन

एक कहानी

अम्बरीन सलाहुद्दीन

मिरी आँखों में मंज़र धुल रहा था

अम्बरीन सलाहुद्दीन

शब थी बे-ख़्वाब इक आरज़ू देर तक

अंबरीन हसीब अंबर

हर तरफ़ उस के सुनहरे लफ़्ज़ हैं फैले हुए

अम्बर बहराईची

रात सुब्ह-ए-बहार होगी

अल्ताफ़ अहमद कुरेशी

आब में ज़ाइक़ा-ए-शीर नहीं हो सकता

अली यासिर

तीन शराबी

अली सरदार जाफ़री

हुजूम-ए-गिर्या

अली अकबर नातिक़

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम

अलीम अफ़सर

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

तमाम रंग अधूरे लगे तिरे आगे

आलम ख़ुर्शीद

तिरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ

आलम ख़ुर्शीद

ज़ख़्म देखे न मिरे ज़ख़्म की शिद्दत देखे

अकरम महमूद

यूँ ही रक्खोगे इम्तिहाँ में क्या

अकरम महमूद

चढ़े हुए हैं जो दरिया उतर भी जाएँगे

अकरम महमूद

नया आहंग

अख़्तर-उल-ईमान

मेरा दोस्त अबुल-हौल

अख़्तर-उल-ईमान

नए सुर की तमसील

अख़्तर उस्मान

मैं अजब आदमी हूँ

अख़्तर उस्मान

वो मुस्कुरा के कोई बात कर रहा था 'शुमार'

अख्तर शुमार

पड़े थे हम भी जहाँ रौशनी में बिखरे हुए

अख्तर शुमार

हिसार-ए-क़र्या-ए-खूँबार से निकलते हुए

अख्तर शुमार

वादा उस माह-रू के आने का

अख़्तर शीरानी

दिल बहलने के वसीले दे गया वो

अख़तर शाहजहाँपुरी

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