शब्द Poetry (page 16)

जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं

अज़ीज़ वारसी

वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा

अज़ीज़ क़ैसी

दम-ए-तकल्लुम किसी के आगे हम अपने दिल को भी देते हौके

अज़ीज़ हैदराबादी

ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

ज़रा सी देर में वो जाने क्या से क्या कर दे

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

मिरे मिज़ाज को सूरज से जोड़ता क्यूँ है

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

कभी गोकुल कभी राधा कभी मोहन बन के

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

गिर्या-ए-शब की शहादत के लिए जागते हैं

अज़हर नक़वी

गिर्दाब-ए-रेग-ए-जान से मौज-ए-सराब तक

अज़हर नक़वी

ख़ामोश ज़बाँ से जब तक़रीर निकलती है

अज़हर हाश्मी

सब बातें ला-हासिल ठहरीं सारे ज़िक्र फ़ुज़ूल गए

अज़हर अली

आँख की दहलीज़ से उतरा तो सहरा हो गया

अय्यूब ख़ावर

तू भी तो एक लफ़्ज़ है इक दिन मिरे बयाँ में आ

अतीक़ुल्लाह

जो तकब्बुर से भटकती है ज़बाँ

आतिफ़ ख़ान

किसी ना-ख़्वांदा बूढ़े की तरह ख़त उस का पढ़ता हूँ

अतहर नफ़ीस

चुरा के लाए हैं कुछ लोग लफ़्ज़ के मोती

अतीक़ असर

मिरी ज़िंदगी किसी मोड़ पर कभी आँसुओं से वफ़ा न दे

अतीक़ अंज़र

ये जहाँ बारगह-ए-रित्ल-ए-गिराँ है साक़ी

असरार-उल-हक़ मजाज़

वो शख़्स फिर कहानी का उन्वान बन गया

असरा रिज़वी

सराब-ए-मअनी-ओ-मफ़्हूम में भटकते हैं

असलम महमूद

तेरी यादों ने तड़पाया बहुत है

अासिफ़ा ज़मानी

झंकार है मौजों की बहते हुए पानी से

अासिफ़ साक़िब

पर्दे मिरी निगाह के भी दरमियाँ न थे

अशरफ़ रफ़ी

उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर

अशोक साहिल

इक लफ़्ज़ याद था मुझे तर्क-ए-वफ़ा मगर

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

दिल मानता नहीं है मनाने के बअ'द भी

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

उस आँख न उस दिल से निकाले हुए हम हैं

अशफ़ाक़ हुसैन

दैर-ओ-हरम भी आए कई इस सफ़र के बीच

अाशा प्रभात

ज़िंदगी मौत का आईना

असग़र नदीम सय्यद

शहर-बदर

असग़र नदीम सय्यद

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