शब्द Poetry (page 3)

किसी नई तरहा की रवानी में जा रहा था

ज़फ़र इक़बाल

कैसी रुकी हुई थी रवानी मिरी तरफ़

ज़फ़र इक़बाल

जो बंदा-ए-ख़ुदा था ख़ुदा होने वाला है

ज़फ़र इक़बाल

हद हो चक्की है शर्म-ए-शकेबाई ख़त्म हो

ज़फ़र इक़बाल

चलो इतनी तो आसानी रहेगी

ज़फ़र इक़बाल

अता-ए-अब्र से इंकार करना चाहिए था

यासमीन हमीद

तअल्लुक़ उस से अगरचे मिरा ख़राब रहा

यशब तमन्ना

दुनिया का चलन तर्क किया भी नहीं जाता

यगाना चंगेज़ी

आवेज़िश

वज़ीर आग़ा

तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से

वसी शाह

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

वसी शाह

दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त

वसी शाह

लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता

वसीम बरेलवी

अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा

वसीम बरेलवी

जिस बात को सुन कर तुझे तकलीफ़ हुई है

वक़ार वासिक़ी

अगर रोना ही अब मेरा मुक़द्दर है मोहब्बत में

वक़ार मानवी

गर्द है ज़र है सीम है ज़र्रा

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

ख़ूब-रू ख़ूब काम करते हैं

वली मोहम्मद वली

छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में

वली मोहम्मद वली

यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है

वाली आसी

तीर-ए-नज़र ने ज़ुल्म को एहसाँ बना दिया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

दीमक

वहीद अख़्तर

आगही की दुआ

वहीद अख़्तर

ज़बान-ए-ख़ल्क़ पे आया तो इक फ़साना हुआ

वहीद अख़्तर

वो रंग का हुजूम सा वो ख़ुशबुओं की भीड़ सी

वहाब दानिश

थकावटों से बैठ के सफ़र उतारिए कहीं

वहाब दानिश

वक़्त की ताक़ पे दोनों की सजाई हुई रात

विपुल कुमार

कई सम्तों में रस्ता बट रहा है

विकास शर्मा राज़

अज़ल से बंद दरवाज़ा खुला तो

विकास शर्मा राज़

एक तस्वीर जो तश्कील नहीं हो पाई

वसाफ़ बासित

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