वो रंग का हुजूम सा वो ख़ुशबुओं की भीड़ सी
वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से जवाँ वो हर्फ़ हर्फ़ से हसीं
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
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Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
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Habib Jalib
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उसूल के जज़ीरे
इन पर्बतों के बीच थी मस्तूर इक गुफा
इबहाम दीदा
हर रौशनी की बूँद पे लब रख चुकी है रात
जंगलों में घूमते फिरते हैं शहरों के फ़क़ीह
खुल गया राज़ छुपी चाह का सब महफ़िल पर
थकावटों से बैठ के सफ़र उतारिए कहीं
ख़ाक के पुतलों में पत्थर के बदन को वास्ता
पस्पाई
एक आदमी
जब सफ़र की धूप में मुरझा के हम दो पल रुके