पल Poetry (page 13)

ये किस वहशत-ज़दा लम्हे में दाख़िल हो गए हैं

अज़ीज़ नबील

परिंदे झील पर इक रब्त-ए-रूहानी में आए हैं

अज़ीज़ नबील

इस बार हवाओं ने जो बेदाद-गरी की

अज़ीज़ नबील

बिखेरता है क़यास मुझ को

अज़ीज़ नबील

उमीद

अज़ीज़ फ़ैसल

मैं किसी जन्म की यादों पे पड़ा पर्दा हूँ

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

खोल रहे हैं मूँद रहे हैं यादों के दरवाज़े लोग

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

हर इक फ़नकार ने जो कुछ भी लिक्खा ख़ूब-तर लिक्खा

अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

एक इक साँस में सदियों का सफ़र काटते हैं

अज़हर नक़वी

मैं जिस लम्हे को ज़िंदा कर रहा हूँ मुद्दतों से

अज़हर अदीब

एक लम्हे को सही उस ने मुझे देखा तो है

अज़हर अदीब

वो रूह के गुम्बद में सदा बन के मिलेगा

आज़ाद गुलाटी

रौशनी फैली तो सब का रंग काला हो गया

आज़ाद गुलाटी

एक हंगामा बपा है मुझ में

आज़ाद गुलाटी

डूब कर ख़ुद में कभी यूँ बे-कराँ हो जाऊँगा

आज़ाद गुलाटी

मोहब्बत का एक साल

अय्यूब ख़ावर

अब्बा के नाम

अतीक़ुल्लाह

धुएँ में डूबे हैं फूल तारे चराग़ जुगनू चिनार कैसे

अतहर सलीमी

इतने दिन के बाद तू आया है आज

अतहर नफ़ीस

साँसों के तआक़ुब में हैरान मिली दुनिया

अता आबिदी

अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ

असरार ज़ैदी

मिज़ा पे ख़्वाब नहीं इंतिज़ार सा कुछ है

असलम महमूद

इंतिज़ार

असलम इमादी

दिल की धड़कन अब रग-ए-जाँ के बहुत नज़दीक है

असलम इमादी

दीवारों को दिल से बाहर रखने वाले

असलम बदर

सदियों को बेहाल किया था

आसिमा ताहिर

तुम इंतिज़ार के लम्हे शुमार मत करना

आसिम वास्ती

सदियों से अजनबी

अासिफ़ शफ़ी

चंद लम्हे विसाल-मौसम के

अासिफ़ शफ़ी

जमाल-ए-यार को तस्वीर करने वाले थे

अासिफ़ शफ़ी

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