उम्मीद Poetry (page 18)

कोई उम्मीद बर नहीं आती

ग़ालिब

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया

ग़ालिब

जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बाँधा

ग़ालिब

इश्क़ तासीर से नौमीद नहीं

ग़ालिब

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

ग़ालिब

गई वो बात कि हो गुफ़्तुगू तो क्यूँकर हो

ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

ग़ालिब

दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए

ग़ालिब

चाहिए अच्छों को जितना चाहिए

ग़ालिब

आइए ऐ जान-ए-आलम आइए

गौहर बेगम गौहर

दामन-ए-हुस्न में हर अश्क-ए-तमन्ना रख दो

फ़ितरत अंसारी

तेरे आने की क्या उमीद मगर

फ़िराक़ गोरखपुरी

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद

फ़िराक़ गोरखपुरी

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं

फ़िराक़ गोरखपुरी

इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से

फ़िराक़ गोरखपुरी

दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया

फ़िराक़ गोरखपुरी

तामीर-ए-नौ क़ज़ा-ओ-क़दर की नज़र में है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

अश्क आया आँख में जलता हुआ

फ़ाज़िल अंसारी

हाथ फैलाओ तो सूरज भी सियाही देगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

शिकवा हम तुझ से भला तेज़ हवा क्या करते

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

सबब थी फ़ितरत-ए-इंसाँ ख़राब मौसम का

फ़रियाद आज़र

है वही एक मेरे सिवा और मैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

खड़ी है रात अंधेरों का अज़दहाम लगाए

फ़रहत एहसास

एक ग़ज़ल कहते हैं इक कैफ़िय्यत तारी कर लेते हैं

फ़रहत एहसास

दिनी हैं सब कोई राती नहीं है

फ़रहत एहसास

आया ज़रा सी देर रहा ग़ुल गया बदन

फ़रहत एहसास

क्या हो गया कैसी रुत पलटी मिरा चैन गया मिरी नींद गई

फ़रीद जावेद

किस से वफ़ा की है उमीद कौन वफ़ा-शिआर है

फ़रीद जावेद

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