कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1054) Peoples Rate This
अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
वक़्त-ए-पीरी दोस्तों की बे-रुख़ी का क्या गिला
जब चाँद की वादियों से नग़्मे बरसें
तेरे आने की क्या उमीद मगर
तू हाथ को जब हाथ में ले लेती है
अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास
किस दर्जा सुकूँ-नुमा हैं अबरू के हिलाल
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
क्या तेरे ख़याल ने भी छेड़ा है सितार
माँ और बहन भी और चहेती बेटी