राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो

राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो

कैसे मुमकिन है कि आतिश हो धुआँ कोई न हो

उस की मर्ज़ी है वो मिल जाए किसी को भीड़ में

और कभी ऐसे मिले कि दरमियाँ कोई न हो

जगमगाता है सितारा बन के तब उम्मीद का

बुझ गए हों सब दिए और कहकशाँ कोई न हो

ख़ाना-ए-दिल में वो रहता कब किसी के साथ है

जल्वागर होता है वो जब मेहमाँ कोई न हो

कैसे मुमकिन है कि क़िस्से जिस से सब वाबस्ता हों

वो चले और साथ उस के दास्ताँ कोई न हो

सारे आलम पर वो लिख देता है उस का नाम जब

कोई ख़ुद को यूँ मिटा ले कि निशाँ कोई न हो

बन के लश्कर साथ हो जाता है वो 'फ़य्याज़' जब

हम-सफ़र कोई न हो और कारवाँ कोई न हो

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Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho In Hindi By Famous Poet Fayyaz Farooqi. Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho is written by Fayyaz Farooqi. Complete Poem Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho in Hindi by Fayyaz Farooqi. Download free Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho Poem for Youth in PDF. Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Rah Mein Uski Chalen Aur Imtihan Koi Na Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.