पानी Poetry (page 22)

नशात-ए-नौ की तलब है न ताज़ा ग़म का जिगर

इकराम आज़म

वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर

इफ़्तिख़ार नसीम

तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी

इफ़्तिख़ार नसीम

अपना सारा बोझ ज़मीं पर फेंक दिया

इफ़्तिख़ार नसीम

चूमता पानी, पानी पानी

इफ़्तेख़ार जालिब

भर आईं आँखें किसी भूली याद से शाम के मंज़र में

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

गुमनाम सिपाही की क़ब्र पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये बस्ती जानी-पहचानी बहुत है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मेरा मालिक जब तौफ़ीक़ अर्ज़ानी करता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ख़्वाब आँखों से ज़बाँ से हर कहानी ले गया

इफ़्फ़त ज़र्रीं

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

इस से फूलों वाले भी आजिज़ आ गए हैं

इदरीस बाबर

कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्त

इब्न-ए-इंशा

पिछले-पहर के सन्नाटे में

इब्न-ए-इंशा

फ़र्ज़ करो

इब्न-ए-इंशा

मैदान

हुसैन आबिद

कंकर फेंक रहे हैं ये अंदाज़ा करने को

हुमैरा रहमान

दिल को दरून-ए-ख़्वाब का मौसम बोझल रखता है

हुमैरा रहमान

कहीं पे माल-ओ-दुनिया की ख़रीदार की बातें हैं

हिना हैदर

यम-ब-यम फैला हुआ है प्यास का सहरा यहाँ

हिमायत अली शाएर

इस अक़्ल की मारी नगरी में कभी पानी आग नहीं बनता

हिलाल फ़रीद

आँखों में वो ख़्वाब नहीं बसते पहला सा वो हाल नहीं होता

हिलाल फ़रीद

दास्तान-ए-फ़ितरत है ज़र्फ़ की कहानी है

हयात वारसी

जवाँ रखती है मय देखे अजब तासीर पानी में

हातिम अली मेहर

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता

हस्तीमल हस्ती

चराग़ दिल का मुक़ाबिल हवा के रखते हैं

हस्तीमल हस्ती

न समझे दिल फ़रेब-ए-आरज़ू को

हसरत मोहानी

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