सबा Poetry (page 19)

सोज़ है दिल के दाग़ में अब तक

अमजद नजमी

बुलबुल-ए-रंगीं-नवा ख़ामोश है

अमजद नजमी

आशोब-ए-आगही

अमजद इस्लाम अमजद

लहू में रंग लहराने लगे हैं

अमजद इस्लाम अमजद

कितनी सरकश भी हो सर-फिरी ये हवा रखना रौशन दिया

अमजद इस्लाम अमजद

हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे

अमजद इस्लाम अमजद

दाम-ए-ख़ुशबू में गिरफ़्तार सबा है कब से

अमजद इस्लाम अमजद

बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी

अमजद इस्लाम अमजद

औरों का था बयान तो मौज सदा रहे

अमजद इस्लाम अमजद

अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा

अमजद इस्लाम अमजद

किया करते हैं दिलदारी दिल-आज़ारी नहीं करते

अमीरुल इस्लाम हाशमी

जो मय-कदे से भी दामन बचा बचा के चले

अमीन राहत चुग़ताई

समुंदरों को उठाए फिरी घटा बरसों

अल्ताफ़ परवाज़

कह दो कोई साक़ी से कि हम मरते हैं प्यासे

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

शुआ-ए-उम्मीद

अल्लामा इक़बाल

राह में हक़ के अज़ीज़ाँ आप को क़ुर्बां करो

अलीमुल्लाह

तुम नहीं आए थे जब

अली सरदार जाफ़री

बहुत क़रीब हो तुम

अली सरदार जाफ़री

अब भी रौशन हैं

अली सरदार जाफ़री

उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले

अली सरदार जाफ़री

लू के मौसम में बहारों की हवा माँगते हैं

अली सरदार जाफ़री

चश्मा-ए-बद-मस्त को फिर शेवा-ए-दिल-दारी दे

अली सरदार जाफ़री

बैठे हैं जहाँ साक़ी पैमाना-ए-ज़र ले कर

अली सरदार जाफ़री

नींद आ गई थी मंज़िल-ए-इरफ़ाँ से गुज़र के

अली जव्वाद ज़ैदी

मुख़्तसर बात थी, फैली क्यूँ सबा की मानिंद

अली अकबर नातिक़

कँवल हों आब में ख़ुश गुल सबा में शाद रहें

अली अकबर नातिक़

बाद-ए-सहरा को रह-ए-शहर पे डाला किस ने

अली अकबर नातिक़

तुम जो आओगे तो मौसम दूसरा हो जाएगा

अली अहमद जलीली

पुकारते पुकारते सदा ही और हो गई

अलीना इतरत

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