सबा Poetry (page 18)

इस अदा से मुझे सलाम किया

आसिफ़ुद्दौला

आता है तेग़ हाथ में वो जंग-जू लिए

आसिफ़ुद्दौला

झंकार है मौजों की बहते हुए पानी से

अासिफ़ साक़िब

भूले हुए हैं सब कि है कार-ए-जहाँ बहुत

अासिफ़ जमाल

इस एक बात से गुलचीं का दिल धड़कता है

असग़र सलीम

गुलशन गुलशन शोला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

गुलशन गुलशन शो'ला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

ग़ुबार सा है सर-ए-शाख़-सार कहते हैं

असग़र सलीम

सहरा से चले हैं सू-ए-गुलशन

असर लखनवी

शाख़ से फूल से क्या उस का पता पूछती है

असअ'द बदायुनी

किस गुल की बू है दामन-ए-दिल में बसी हुई

आरज़ू लखनवी

आराम के थे साथी क्या क्या जब वक़्त पड़ा तो कोई नहीं

आरज़ू लखनवी

पूछा सबा से उस ने पता कू-ए-यार का

अरशद अली ख़ान क़लक़

इश्क़ में तेरे जान-ए-ज़ार हैफ़ है मुफ़्त में चली

अरशद अली ख़ान क़लक़

रहती है सबा जैसे ख़ुशबू के तआ'क़ुब में

आरिफ़ अंसारी

वो कारवान-ए-बहाराँ कि बे-दरा होगा

आरिफ़ अब्दुल मतीन

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

आरिफ़ अब्दुल मतीन

याद करो जब रात हुई थी

अनवर शऊर

सुलैमान-ए-सुख़न तो ख़ैर क्या हूँ

अनवर शऊर

वो नीची निगाहें वो हया याद रहेगी

अनवर साबरी

लब पे काँटों के है फ़रियाद-ओ-बुका मेरे बाद

अनवर साबरी

आँखें दिखाईं ग़ैर को मेरी ख़ता के साथ

अनवर देहलवी

ये क़िस्सा-ए-ग़म-ए-दिल है तो बाँकपन से चले

अनवर मोअज़्ज़म

डूबते तारों से पूछो न क़मर से पूछो

अनवर मोअज़्ज़म

दीदा-ए-तर ने अजब जल्वागरी देखी है

अनवर मोअज़्ज़म

चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा

अंजुम इरफ़ानी

फ़सील-ए-जिस्म पे शब-ख़ूँ शरारतें तेरी

अंजुम इरफ़ानी

बड़ी फ़र्ज़-आश्ना है सबा करे ख़ूब काम हिसाब का

अंजुम इरफ़ानी

मोहिब्बान-ए-वतन का नारा

आनंद नारायण मुल्ला

मिरी बात का जो यक़ीं नहीं मुझे आज़मा के भी देख ले

आनंद नारायण मुल्ला

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